सम् + प्र + आङ् + क्रुश् धातुरूपाणि - लुङ् लकारः

क्रुशँ आह्वाने रोदने च - भ्वादिः

 
 

कर्तरि प्रयोगः परस्मै पदम्

 
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम पुरुषः
मध्यम पुरुषः
उत्तम पुरुषः
 

कर्मणि प्रयोगः आत्मने पदम्

 
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम पुरुषः
मध्यम पुरुषः
उत्तम पुरुषः
 

कर्तरि प्रयोगः परस्मै पदम्

 
एक
द्वि
बहु
प्रथम
सम्प्राक्रुक्षत् / संप्राक्रुक्षत् / सम्प्राक्रुक्षद् / संप्राक्रुक्षद्
सम्प्राक्रुक्षताम् / संप्राक्रुक्षताम्
सम्प्राक्रुक्षन् / संप्राक्रुक्षन्
मध्यम
सम्प्राक्रुक्षः / संप्राक्रुक्षः
सम्प्राक्रुक्षतम् / संप्राक्रुक्षतम्
सम्प्राक्रुक्षत / संप्राक्रुक्षत
उत्तम
सम्प्राक्रुक्षम् / संप्राक्रुक्षम्
सम्प्राक्रुक्षाव / संप्राक्रुक्षाव
सम्प्राक्रुक्षाम / संप्राक्रुक्षाम
 

कर्मणि प्रयोगः आत्मने पदम्

 
एक
द्वि
बहु
प्रथम
सम्प्राक्रोशि / संप्राक्रोशि
सम्प्राक्रुक्षाताम् / संप्राक्रुक्षाताम्
सम्प्राक्रुक्षन्त / संप्राक्रुक्षन्त
मध्यम
सम्प्राक्रुक्षथाः / संप्राक्रुक्षथाः
सम्प्राक्रुक्षाथाम् / संप्राक्रुक्षाथाम्
सम्प्राक्रुक्षध्वम् / संप्राक्रुक्षध्वम्
उत्तम
सम्प्राक्रुक्षि / संप्राक्रुक्षि
सम्प्राक्रुक्षावहि / संप्राक्रुक्षावहि
सम्प्राक्रुक्षामहि / संप्राक्रुक्षामहि
 


सनादि प्रत्ययाः

उपसर्गाः