प्रति + हृ + सन् + णिच् धातुरूपाणि - आशीर्लिङ् लकारः

हृञ् हरणे - भ्वादिः

 
 

कर्तरि प्रयोगः परस्मै पदम्

 
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम पुरुषः
मध्यम पुरुषः
उत्तम पुरुषः
 

कर्तरि प्रयोगः आत्मने पदम्

 
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम पुरुषः
मध्यम पुरुषः
उत्तम पुरुषः
 

कर्मणि प्रयोगः आत्मने पदम्

 
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम पुरुषः
मध्यम पुरुषः
उत्तम पुरुषः
 

कर्तरि प्रयोगः परस्मै पदम्

 
एक
द्वि
बहु
प्रथम
प्रतिजिहीर्ष्यात् / प्रतिजिहीर्ष्याद्
प्रतिजिहीर्ष्यास्ताम्
प्रतिजिहीर्ष्यासुः
मध्यम
प्रतिजिहीर्ष्याः
प्रतिजिहीर्ष्यास्तम्
प्रतिजिहीर्ष्यास्त
उत्तम
प्रतिजिहीर्ष्यासम्
प्रतिजिहीर्ष्यास्व
प्रतिजिहीर्ष्यास्म
 

कर्तरि प्रयोगः आत्मने पदम्

 
एक
द्वि
बहु
प्रथम
प्रतिजिहीर्षयिषीष्ट
प्रतिजिहीर्षयिषीयास्ताम्
प्रतिजिहीर्षयिषीरन्
मध्यम
प्रतिजिहीर्षयिषीष्ठाः
प्रतिजिहीर्षयिषीयास्थाम्
प्रतिजिहीर्षयिषीढ्वम् / प्रतिजिहीर्षयिषीध्वम्
उत्तम
प्रतिजिहीर्षयिषीय
प्रतिजिहीर्षयिषीवहि
प्रतिजिहीर्षयिषीमहि
 

कर्मणि प्रयोगः आत्मने पदम्

 
एक
द्वि
बहु
प्रथम
प्रतिजिहीर्षिषीष्ट / प्रतिजिहीर्षयिषीष्ट
प्रतिजिहीर्षिषीयास्ताम् / प्रतिजिहीर्षयिषीयास्ताम्
प्रतिजिहीर्षिषीरन् / प्रतिजिहीर्षयिषीरन्
मध्यम
प्रतिजिहीर्षिषीष्ठाः / प्रतिजिहीर्षयिषीष्ठाः
प्रतिजिहीर्षिषीयास्थाम् / प्रतिजिहीर्षयिषीयास्थाम्
प्रतिजिहीर्षिषीध्वम् / प्रतिजिहीर्षयिषीढ्वम् / प्रतिजिहीर्षयिषीध्वम्
उत्तम
प्रतिजिहीर्षिषीय / प्रतिजिहीर्षयिषीय
प्रतिजिहीर्षिषीवहि / प्रतिजिहीर्षयिषीवहि
प्रतिजिहीर्षिषीमहि / प्रतिजिहीर्षयिषीमहि
 


सनादि प्रत्ययाः

उपसर्गाः