परा + कङ्क् + यङ् + णिच् धातुरूपाणि - ककिँ गत्यर्थः - भ्वादिः - लृट् लकारः


 
 

कर्तरि प्रयोगः परस्मै पदम्

 
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम पुरुषः
मध्यम पुरुषः
उत्तम पुरुषः
 

कर्तरि प्रयोगः आत्मने पदम्

 
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम पुरुषः
मध्यम पुरुषः
उत्तम पुरुषः
 

कर्मणि प्रयोगः आत्मने पदम्

 
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम पुरुषः
मध्यम पुरुषः
उत्तम पुरुषः
 

कर्तरि प्रयोगः परस्मै पदम्

 
एक
द्वि
बहु
प्रथम
पराचाकङ्क्ययिष्यति
पराचाकङ्क्ययिष्यतः
पराचाकङ्क्ययिष्यन्ति
मध्यम
पराचाकङ्क्ययिष्यसि
पराचाकङ्क्ययिष्यथः
पराचाकङ्क्ययिष्यथ
उत्तम
पराचाकङ्क्ययिष्यामि
पराचाकङ्क्ययिष्यावः
पराचाकङ्क्ययिष्यामः
 

कर्तरि प्रयोगः आत्मने पदम्

 
एक
द्वि
बहु
प्रथम
पराचाकङ्क्ययिष्यते
पराचाकङ्क्ययिष्येते
पराचाकङ्क्ययिष्यन्ते
मध्यम
पराचाकङ्क्ययिष्यसे
पराचाकङ्क्ययिष्येथे
पराचाकङ्क्ययिष्यध्वे
उत्तम
पराचाकङ्क्ययिष्ये
पराचाकङ्क्ययिष्यावहे
पराचाकङ्क्ययिष्यामहे
 

कर्मणि प्रयोगः आत्मने पदम्

 
एक
द्वि
बहु
प्रथम
पराचाकङ्किष्यते / पराचाकङ्क्ययिष्यते
पराचाकङ्किष्येते / पराचाकङ्क्ययिष्येते
पराचाकङ्किष्यन्ते / पराचाकङ्क्ययिष्यन्ते
मध्यम
पराचाकङ्किष्यसे / पराचाकङ्क्ययिष्यसे
पराचाकङ्किष्येथे / पराचाकङ्क्ययिष्येथे
पराचाकङ्किष्यध्वे / पराचाकङ्क्ययिष्यध्वे
उत्तम
पराचाकङ्किष्ये / पराचाकङ्क्ययिष्ये
पराचाकङ्किष्यावहे / पराचाकङ्क्ययिष्यावहे
पराचाकङ्किष्यामहे / पराचाकङ्क्ययिष्यामहे
 


सनादि प्रत्ययाः

उपसर्गाः