भ्रस्ज् धातुरूपाणि - भ्रस्जँ पाके - तुदादिः - लुट् लकारः


 
 

कर्तरि प्रयोगः परस्मै पदम्

 
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम पुरुषः
मध्यम पुरुषः
उत्तम पुरुषः
 

कर्तरि प्रयोगः आत्मने पदम्

 
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम पुरुषः
मध्यम पुरुषः
उत्तम पुरुषः
 

कर्मणि प्रयोगः आत्मने पदम्

 
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम पुरुषः
मध्यम पुरुषः
उत्तम पुरुषः
 

कर्तरि प्रयोगः परस्मै पदम्

 
एक
द्वि
बहु
प्रथम
भर्ष्टा / भ्रष्टा
भर्ष्टारौ / भ्रष्टारौ
भर्ष्टारः / भ्रष्टारः
मध्यम
भर्ष्टासि / भ्रष्टासि
भर्ष्टास्थः / भ्रष्टास्थः
भर्ष्टास्थ / भ्रष्टास्थ
उत्तम
भर्ष्टास्मि / भ्रष्टास्मि
भर्ष्टास्वः / भ्रष्टास्वः
भर्ष्टास्मः / भ्रष्टास्मः
 

कर्तरि प्रयोगः आत्मने पदम्

 
एक
द्वि
बहु
प्रथम
भर्ष्टा / भ्रष्टा
भर्ष्टारौ / भ्रष्टारौ
भर्ष्टारः / भ्रष्टारः
मध्यम
भर्ष्टासे / भ्रष्टासे
भर्ष्टासाथे / भ्रष्टासाथे
भर्ष्टाध्वे / भ्रष्टाध्वे
उत्तम
भर्ष्टाहे / भ्रष्टाहे
भर्ष्टास्वहे / भ्रष्टास्वहे
भर्ष्टास्महे / भ्रष्टास्महे
 

कर्मणि प्रयोगः आत्मने पदम्

 
एक
द्वि
बहु
प्रथम
भर्ष्टा / भ्रष्टा
भर्ष्टारौ / भ्रष्टारौ
भर्ष्टारः / भ्रष्टारः
मध्यम
भर्ष्टासे / भ्रष्टासे
भर्ष्टासाथे / भ्रष्टासाथे
भर्ष्टाध्वे / भ्रष्टाध्वे
उत्तम
भर्ष्टाहे / भ्रष्टाहे
भर्ष्टास्वहे / भ्रष्टास्वहे
भर्ष्टास्महे / भ्रष्टास्महे
 


सनादि प्रत्ययाः

उपसर्गाः