वि + अव + कृष् + यङ्लुक् धातुरूपाणि - कर्मणि प्रयोगः आशीर्लिङ् लकारः आत्मने पदम्

कृषँ विलेखने - भ्वादिः

 
 
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम पुरुषः
मध्यम पुरुषः
उत्तम पुरुषः
 
एक
द्वि
बहु
प्रथम
व्यवचरीकर्षिषीष्ट / व्यवचरिकर्षिषीष्ट / व्यवचर्कर्षिषीष्ट
व्यवचरीकर्षिषीयास्ताम् / व्यवचरिकर्षिषीयास्ताम् / व्यवचर्कर्षिषीयास्ताम्
व्यवचरीकर्षिषीरन् / व्यवचरिकर्षिषीरन् / व्यवचर्कर्षिषीरन्
मध्यम
व्यवचरीकर्षिषीष्ठाः / व्यवचरिकर्षिषीष्ठाः / व्यवचर्कर्षिषीष्ठाः
व्यवचरीकर्षिषीयास्थाम् / व्यवचरिकर्षिषीयास्थाम् / व्यवचर्कर्षिषीयास्थाम्
व्यवचरीकर्षिषीध्वम् / व्यवचरिकर्षिषीध्वम् / व्यवचर्कर्षिषीध्वम्
उत्तम
व्यवचरीकर्षिषीय / व्यवचरिकर्षिषीय / व्यवचर्कर्षिषीय
व्यवचरीकर्षिषीवहि / व्यवचरिकर्षिषीवहि / व्यवचर्कर्षिषीवहि
व्यवचरीकर्षिषीमहि / व्यवचरिकर्षिषीमहि / व्यवचर्कर्षिषीमहि