सु + नाथ् + सन् धातु रूप - नाथृँ याच्ञोपतापैश्वर्याशीष्षु - भ्वादिः - लोट् लकार
कर्तरि प्रयोग परस्मैपद
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
मध्यम पुरुष
उत्तम पुरुष
कर्तरि प्रयोग आत्मनेपद
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
मध्यम पुरुष
उत्तम पुरुष
कर्मणि प्रयोग आत्मनेपद
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
मध्यम पुरुष
उत्तम पुरुष
कर्तरि प्रयोग परस्मैपद
एक
द्वि
बहु
प्रथम
सुनिनाथिषतात् / सुनिनाथिषताद् / सुनिनाथिषतु
सुनिनाथिषताम्
सुनिनाथिषन्तु
मध्यम
सुनिनाथिषतात् / सुनिनाथिषताद् / सुनिनाथिष
सुनिनाथिषतम्
सुनिनाथिषत
उत्तम
सुनिनाथिषाणि
सुनिनाथिषाव
सुनिनाथिषाम
कर्तरि प्रयोग आत्मनेपद
एक
द्वि
बहु
प्रथम
सुनिनाथिषताम्
सुनिनाथिषेताम्
सुनिनाथिषन्ताम्
मध्यम
सुनिनाथिषस्व
सुनिनाथिषेथाम्
सुनिनाथिषध्वम्
उत्तम
सुनिनाथिषै
सुनिनाथिषावहै
सुनिनाथिषामहै
कर्मणि प्रयोग आत्मनेपद
एक
द्वि
बहु
प्रथम
सुनिनाथिष्यताम्
सुनिनाथिष्येताम्
सुनिनाथिष्यन्ताम्
मध्यम
सुनिनाथिष्यस्व
सुनिनाथिष्येथाम्
सुनिनाथिष्यध्वम्
उत्तम
सुनिनाथिष्यै
सुनिनाथिष्यावहै
सुनिनाथिष्यामहै
सनादि प्रत्यय
णिच्
सन्
यङ्
यङ्लुक्
णिच् + सन्
यङ् + सन्
यङ्लुक् + सन्
सन् + णिच्
यङ् + णिच्
यङ्लुक् + णिच्
णिच् + सन् + णिच्
यङ् + सन् + णिच्
यङ्लुक् + सन् + णिच्
यङ् + णिच् + सन्
यङ्लुक् + णिच् + सन्
यङ् + णिच् + सन् + णिच्
यङ्लुक् + णिच् + सन् + णिच्
उपसर्ग