वि + निस् + हृ धातु रूप - आशीर्लिङ लकार

हृञ् हरणे - भ्वादिः

 
 

कर्तरि प्रयोग परस्मैपद

 
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
मध्यम पुरुष
उत्तम पुरुष
 

कर्तरि प्रयोग आत्मनेपद

 
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
मध्यम पुरुष
उत्तम पुरुष
 

कर्मणि प्रयोग आत्मनेपद

 
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
मध्यम पुरुष
उत्तम पुरुष
 

कर्तरि प्रयोग परस्मैपद

 
एक
द्वि
बहु
प्रथम
विनिर्ह्रियात् / विनिर्ह्रियाद्
विनिर्ह्रियास्ताम्
विनिर्ह्रियासुः
मध्यम
विनिर्ह्रियाः
विनिर्ह्रियास्तम्
विनिर्ह्रियास्त
उत्तम
विनिर्ह्रियासम्
विनिर्ह्रियास्व
विनिर्ह्रियास्म
 

कर्तरि प्रयोग आत्मनेपद

 
एक
द्वि
बहु
प्रथम
विनिर्हृषीष्ट
विनिर्हृषीयास्ताम्
विनिर्हृषीरन्
मध्यम
विनिर्हृषीष्ठाः
विनिर्हृषीयास्थाम्
विनिर्हृषीढ्वम्
उत्तम
विनिर्हृषीय
विनिर्हृषीवहि
विनिर्हृषीमहि
 

कर्मणि प्रयोग आत्मनेपद

 
एक
द्वि
बहु
प्रथम
विनिर्हारिषीष्ट / विनिर्हृषीष्ट
विनिर्हारिषीयास्ताम् / विनिर्हृषीयास्ताम्
विनिर्हारिषीरन् / विनिर्हृषीरन्
मध्यम
विनिर्हारिषीष्ठाः / विनिर्हृषीष्ठाः
विनिर्हारिषीयास्थाम् / विनिर्हृषीयास्थाम्
विनिर्हारिषीढ्वम् / विनिर्हारिषीध्वम् / विनिर्हृषीढ्वम्
उत्तम
विनिर्हारिषीय / विनिर्हृषीय
विनिर्हारिषीवहि / विनिर्हृषीवहि
विनिर्हारिषीमहि / विनिर्हृषीमहि
 


सनादि प्रत्यय

उपसर्ग