कृ धातु रूप - कृञ् करणे - भ्वादिः - आशीर्लिङ लकार


 
 

कर्तरि प्रयोग परस्मैपद

 
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
मध्यम पुरुष
उत्तम पुरुष
 

कर्तरि प्रयोग आत्मनेपद

 
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
मध्यम पुरुष
उत्तम पुरुष
 

कर्मणि प्रयोग आत्मनेपद

 
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
मध्यम पुरुष
उत्तम पुरुष
 

कर्तरि प्रयोग परस्मैपद

 
एक
द्वि
बहु
प्रथम
क्रियात् / क्रियाद्
क्रियास्ताम्
क्रियासुः
मध्यम
क्रियाः
क्रियास्तम्
क्रियास्त
उत्तम
क्रियासम्
क्रियास्व
क्रियास्म
 

कर्तरि प्रयोग आत्मनेपद

 
एक
द्वि
बहु
प्रथम
कृषीष्ट
कृषीयास्ताम्
कृषीरन्
मध्यम
कृषीष्ठाः
कृषीयास्थाम्
कृषीढ्वम्
उत्तम
कृषीय
कृषीवहि
कृषीमहि
 

कर्मणि प्रयोग आत्मनेपद

 
एक
द्वि
बहु
प्रथम
कारिषीष्ट / कृषीष्ट
कारिषीयास्ताम् / कृषीयास्ताम्
कारिषीरन् / कृषीरन्
मध्यम
कारिषीष्ठाः / कृषीष्ठाः
कारिषीयास्थाम् / कृषीयास्थाम्
कारिषीढ्वम् / कारिषीध्वम् / कृषीढ्वम्
उत्तम
कारिषीय / कृषीय
कारिषीवहि / कृषीवहि
कारिषीमहि / कृषीमहि
 


सनादि प्रत्यय

उपसर्ग