सम् + प्र + चक्ष् ଧାତୁ ରୂପ - चक्षिँङ् व्यक्तायां वाचि अयं दर्शनेऽपि - अदादिः - ଲଙ୍ ଲକାର


 
 

କର୍ତରି ପ୍ରୟୋଗ ଆତ୍ମନେ ପଦ

 
ଏକବଚନ
ଦ୍ୱିବଚନ
ବହୁବଚନ
ପ୍ରଥମ ପୁରୁଷ
ମଧ୍ୟମ ପୁରୁଷ
ଉତ୍ତମ ପୁରୁଷ
 

କର୍ମଣି ପ୍ରୟୋଗ ଆତ୍ମନେ ପଦ

 
ଏକବଚନ
ଦ୍ୱିବଚନ
ବହୁବଚନ
ପ୍ରଥମ ପୁରୁଷ
ମଧ୍ୟମ ପୁରୁଷ
ଉତ୍ତମ ପୁରୁଷ
 

କର୍ତରି ପ୍ରୟୋଗ ଆତ୍ମନେ ପଦ

 
ଏକ.
ଦ୍ୱି.
ବହୁ.
ପ୍ରଥମ
सम्प्राचष्ट / संप्राचष्ट
सम्प्राचक्षाताम् / संप्राचक्षाताम्
सम्प्राचक्षत / संप्राचक्षत
ମଧ୍ୟମ
सम्प्राचष्ठाः / संप्राचष्ठाः
सम्प्राचक्षाथाम् / संप्राचक्षाथाम्
सम्प्राचड्ढ्वम् / संप्राचड्ढ्वम्
ଉତ୍ତମ
सम्प्राचक्षि / संप्राचक्षि
सम्प्राचक्ष्वहि / संप्राचक्ष्वहि
सम्प्राचक्ष्महि / संप्राचक्ष्महि
 

କର୍ମଣି ପ୍ରୟୋଗ ଆତ୍ମନେ ପଦ

 
ଏକ.
ଦ୍ୱି.
ବହୁ.
ପ୍ରଥମ
सम्प्राख्यायत / संप्राख्यायत / सम्प्राक्शायत / संप्राक्शायत
सम्प्राख्यायेताम् / संप्राख्यायेताम् / सम्प्राक्शायेताम् / संप्राक्शायेताम्
सम्प्राख्यायन्त / संप्राख्यायन्त / सम्प्राक्शायन्त / संप्राक्शायन्त
ମଧ୍ୟମ
सम्प्राख्यायथाः / संप्राख्यायथाः / सम्प्राक्शायथाः / संप्राक्शायथाः
सम्प्राख्यायेथाम् / संप्राख्यायेथाम् / सम्प्राक्शायेथाम् / संप्राक्शायेथाम्
सम्प्राख्यायध्वम् / संप्राख्यायध्वम् / सम्प्राक्शायध्वम् / संप्राक्शायध्वम्
ଉତ୍ତମ
सम्प्राख्याये / संप्राख्याये / सम्प्राक्शाये / संप्राक्शाये
सम्प्राख्यायावहि / संप्राख्यायावहि / सम्प्राक्शायावहि / संप्राक्शायावहि
सम्प्राख्यायामहि / संप्राख्यायामहि / सम्प्राक्शायामहि / संप्राक्शायामहि
 


ସନାଦି ପ୍ରତ୍ୟୟ

ଉପସର୍ଗ