दुर् + चक्ष् + यङ् + णिच् + सन् ଧାତୁ ରୂପ - चक्षिँङ् व्यक्तायां वाचि अयं दर्शनेऽपि - अदादिः - ଲଙ୍ ଲକାର


 
 

କର୍ତରି ପ୍ରୟୋଗ ପରସ୍ମୈପଦ

 
ଏକବଚନ
ଦ୍ୱିବଚନ
ବହୁବଚନ
ପ୍ରଥମ ପୁରୁଷ
ମଧ୍ୟମ ପୁରୁଷ
ଉତ୍ତମ ପୁରୁଷ
 

କର୍ତରି ପ୍ରୟୋଗ ଆତ୍ମନେ ପଦ

 
ଏକବଚନ
ଦ୍ୱିବଚନ
ବହୁବଚନ
ପ୍ରଥମ ପୁରୁଷ
ମଧ୍ୟମ ପୁରୁଷ
ଉତ୍ତମ ପୁରୁଷ
 

କର୍ମଣି ପ୍ରୟୋଗ ଆତ୍ମନେ ପଦ

 
ଏକବଚନ
ଦ୍ୱିବଚନ
ବହୁବଚନ
ପ୍ରଥମ ପୁରୁଷ
ମଧ୍ୟମ ପୁରୁଷ
ଉତ୍ତମ ପୁରୁଷ
 

କର୍ତରି ପ୍ରୟୋଗ ପରସ୍ମୈପଦ

 
ଏକ.
ଦ୍ୱି.
ବହୁ.
ପ୍ରଥମ
दुरचाख्याययिषत् / दुरचाख्याययिषद् / दुरचाक्शाययिषत् / दुरचाक्शाययिषद्
दुरचाख्याययिषताम् / दुरचाक्शाययिषताम्
दुरचाख्याययिषन् / दुरचाक्शाययिषन्
ମଧ୍ୟମ
दुरचाख्याययिषः / दुरचाक्शाययिषः
दुरचाख्याययिषतम् / दुरचाक्शाययिषतम्
दुरचाख्याययिषत / दुरचाक्शाययिषत
ଉତ୍ତମ
दुरचाख्याययिषम् / दुरचाक्शाययिषम्
दुरचाख्याययिषाव / दुरचाक्शाययिषाव
दुरचाख्याययिषाम / दुरचाक्शाययिषाम
 

କର୍ତରି ପ୍ରୟୋଗ ଆତ୍ମନେ ପଦ

 
ଏକ.
ଦ୍ୱି.
ବହୁ.
ପ୍ରଥମ
दुरचाख्याययिषत / दुरचाक्शाययिषत
दुरचाख्याययिषेताम् / दुरचाक्शाययिषेताम्
दुरचाख्याययिषन्त / दुरचाक्शाययिषन्त
ମଧ୍ୟମ
दुरचाख्याययिषथाः / दुरचाक्शाययिषथाः
दुरचाख्याययिषेथाम् / दुरचाक्शाययिषेथाम्
दुरचाख्याययिषध्वम् / दुरचाक्शाययिषध्वम्
ଉତ୍ତମ
दुरचाख्याययिषे / दुरचाक्शाययिषे
दुरचाख्याययिषावहि / दुरचाक्शाययिषावहि
दुरचाख्याययिषामहि / दुरचाक्शाययिषामहि
 

କର୍ମଣି ପ୍ରୟୋଗ ଆତ୍ମନେ ପଦ

 
ଏକ.
ଦ୍ୱି.
ବହୁ.
ପ୍ରଥମ
दुरचाख्याययिष्यत / दुरचाक्शाययिष्यत
दुरचाख्याययिष्येताम् / दुरचाक्शाययिष्येताम्
दुरचाख्याययिष्यन्त / दुरचाक्शाययिष्यन्त
ମଧ୍ୟମ
दुरचाख्याययिष्यथाः / दुरचाक्शाययिष्यथाः
दुरचाख्याययिष्येथाम् / दुरचाक्शाययिष्येथाम्
दुरचाख्याययिष्यध्वम् / दुरचाक्शाययिष्यध्वम्
ଉତ୍ତମ
दुरचाख्याययिष्ये / दुरचाक्शाययिष्ये
दुरचाख्याययिष्यावहि / दुरचाक्शाययिष्यावहि
दुरचाख्याययिष्यामहि / दुरचाक्शाययिष्यामहि
 


ସନାଦି ପ୍ରତ୍ୟୟ

ଉପସର୍ଗ