କୃଦନ୍ତ - ଧାତୁଗୁଡ଼ିକର ସୂଚୀ


 
भू  एध्  स्पर्ध्  गाध् - गाधृँ प्रतिष्ठालिप्सयोर्ग्रन्थे च  बाध्  नाध् - नाधृँ याच्ञोपतापैश्वर्याशीष्षु  नाथ् - नाथृँ याच्ञोपतापैश्वर्याशीष्षु  दध् - दधँ धारणे  स्कुन्द् - स्कुदिँ आप्रवणे  श्विन्द् - श्विदिँ श्वैत्ये  वन्द्  भन्द् - भदिँ कल्याणे सुखे च  मन्द् - मदिँ स्तुतिमोदमदस्वप्नकान्तिगतिषु  स्पन्द्  क्लिन्द् - क्लिदिँ परिदेवने १ १५  मुद्  दद् - ददँ दाने  स्वद्  स्वर्द् - स्वर्दँ आस्वादने  ऊर्द् - उर्दँ माने क्रीडायां च  कूर्द्  खूर्द् - खुर्दँ क्रीडायामेव  गूर्द् - गुर्द क्रीडायामेव गुडक्रीडायामेव  गुद् - गुदँ क्रीडायामेव  सूद् - षूदँ क्षरणे  ह्राद् - ह्रादँ अव्यक्ते शब्दे  ह्लाद्  स्वाद् - स्वादँ आस्वादने  पर्द् - पर्दँ कुत्सिते शब्दे  यत्  युत् - युतृँ भासणे  जुत् - जुतृँ भासणे  विथ् - विथृँ याचने  वेथ् - वेथृँ याचने  श्रन्थ् - श्रथिँ शैथिल्ये  ग्रन्थ् - ग्रथिँ कौटिल्ये  कत्थ् - कत्थँ श्लाघायाम्  अत् - अतँ सातत्यगमने  चित् - चितीँ सञ्ज्ञाने  च्युत् - च्युतिँर् आसेचने  श्चुत् - श्चुतिँर् आसेचने इत्येके  श्च्युत् - श्च्युतिँर् क्षरणे  ज्युत् - ज्युतिँर् भासने  मन्थ् - मथिँ हिंसासङ्क्लेशनयोः  कुन्थ् - कुथिँ हिंसासङ्क्लेशनयोः  पुन्थ् - पुथिँ हिंसासङ्क्लेशनयोः  लुन्थ् - लुथिँ हिंसासङ्क्लेशनयोः  मन्थ् - मन्थँ विलोडने  सिध् - षिधँ गत्याम्  सिध् - षिधूँ शास्त्रे माङ्गल्ये च  खाद्  खद् - खदँ स्थैर्ये हिंसायां च  बद् - बदँ स्थैर्ये  गद्  रद् - रदँ विलेखने  नद्  अर्द् - अर्दँ गतौ याचने च  नर्द् - नर्दँ शब्दे  गर्द् - गर्दँ शब्दे  तर्द् - तर्दँ हिंसायाम्  कर्द् - कर्दँ कुत्सिते शब्दे  खर्द् - खर्दँ दन्दशूके  अन्त् - अतिँ बन्धने  अन्द् - अदिँ बन्धने  इन्द् - इदिँ परमैश्वर्ये  बिन्द् - बिदिँ अवयवे  भिन्द् - भिदिँ अवयवे इत्येके  गण्ड् - गडिँ वदनैकदेशे १ ६८  निन्द्  नन्द्  चन्द् - चदिँ आह्लादे दीप्तौ च  त्रन्द् - त्रदिँ चेष्टायाम्  कन्द् - कदिँ वैक्लव्ये वैकल्य इत्येके  क्रन्द् - क्रदिँ वैक्लव्ये वैकल्य इत्येके  क्लन्द् - क्लदिँ वैक्लव्ये वैकल्य इत्येके इत्यन्ये  क्लिन्द् - क्लिदिँ परिदेवने १ ७६  शुन्ध् - शुन्धँ शुद्धौ  शीक् - शीकृँ सेचने  सीक् - सीकृँ सेचने इत्येके  लोक्  श्लोक् - श्लोकृँ सङ्घाते  स्रोक् - स्रोकृँ सङ्घाते इति पाठान्तरम्  द्रेक् - द्रेकृँ शब्दोत्साहयोः  ध्रेक् - ध्रेकृँ शब्दोत्साहयोः  रेक् - रेकृँ शङ्कायाम्  सेक् - सेकृँ गतौ  स्रेक् - स्रेकृँ गतौ  स्रङ्क् - स्रकिँ गतौ  श्रङ्क् - श्रकिँ गतौ  श्लङ्क् - श्लकिँ गतौ गत्यर्थः  शङ्क्  अङ्क्  वङ्क् - वकिँ गत्यर्थः  मङ्क् - मकिँ मण्डने  कक् - ककँ लौल्ये  कुक् - कुकँ आदाने  वृक् - वृकँ आदाने  चक् - चकँ तृप्तौ  कङ्क् - ककिँ गत्यर्थः  वङ्क् - वकिँ कौटिल्ये  श्वङ्क् - श्वकिँ गत्यर्थः  त्रङ्क् - त्रकिँ गत्यर्थः  ढौक् - ढौकृँ गत्यर्थः  त्रौक् - त्रौकृँ गत्यर्थः  स्वस्क् - ष्वस्कँ गत्यर्थः  वस्क् - वस्कँ गत्यर्थः  मस्क् - मस्कँ गत्यर्थः  टिक् - टिकृँ गत्यर्थः  टीक् - टीकृँ गत्यर्थः  तिक् - तिकृँ गत्यर्थः  तीक् - तीकृँ गत्यर्थः  रङ्घ् - रघिँ गत्यर्थः  लङ्घ्  स्वङ्क् - ष्वकिँ गत्यर्थः इत्येके  अङ्घ् - अघिँ गत्याक्षेपे गतौ गत्यारम्भे चेत्यपरे  वङ्घ् - वघिँ गत्याक्षेपे गतौ गत्यारम्भे चेत्यपरे  मङ्घ् - मघिँ गत्याक्षेपे गतौ गत्यारम्भे चेत्यपरे मघिँ कैतवे च  राघ् - राघृँ सामर्थ्ये  लाघ् - लाघृँ सामर्थ्ये  द्राघ् - द्राघृँ सामर्थ्ये द्राघृँ आयामे च  ध्राघ् - ध्राघृँ सामर्थ्ये इत्यपि केचित्  श्लाघ्  फक्क् - फक्कँ निचैर्गतौ  तक् - तकँ हसने  तङ्क् - तकिँ कृच्छ्रजीवने  बुक्क् - बुक्कँ भषणे  शुक् - शुकँ गतौ  कख् - कखँ हसने  ओख् - ओखृँ शोषणालमर्थ्योः  राख् - राखृँ शोषणालमर्थ्योः  लाख् - लाखृँ शोषणालमर्थ्योः  द्राख् - द्राखृँ शोषणालमर्थ्योः  ध्राख् - ध्राखृँ शोषणालमर्थ्योः  शाख् - शाखृँ व्याप्तौ  श्लाख् - श्लाखृँ व्याप्तौ  उख् - उखँ गत्यर्थः  उङ्ख् - उखिँ गत्यर्थः  वख् - वखँ गत्यर्थः  वङ्ख् - वखिँ गत्यर्थः  मख् - मखँ गत्यर्थः  मङ्ख् - मखिँ गत्यर्थः  नख् - णखँ गत्यर्थः  नङ्ख् - णखिँ गत्यर्थः  रख् - रखँ गत्यर्थः  रङ्ख् - रखिँ गत्यर्थः  लख् - लखँ गत्यर्थः  लङ्ख् - लखिँ गत्यर्थः  इख् - इखँ गत्यर्थः  इङ्ख् - इखिँ गत्यर्थः  ईख् - ईखँ गत्यर्थः  ईङ्ख् - ईखिँ गत्यर्थः  वल्ग् - वल्गँ गत्यर्थः  रङ्ग् - रगिँ गत्यर्थः  लङ्ग् - लगिँ गत्यर्थः  अङ्ग् - अगिँ गत्यर्थः  वङ्ग् - वगिँ गत्यर्थः  मङ्ग् - मगिँ गत्यर्थः  तङ्ग् - तगिँ गत्यर्थः  त्वङ्ग् - त्वगिँ गत्यर्थः त्वगिँ कम्पने च  त्रङ्ग् - त्रगिँ गत्यर्थः  श्रङ्ग् - श्रगिँ गत्यर्थः  श्लङ्ग् - श्लगिँ गत्यर्थः  इङ्ग् - इगिँ गत्यर्थः  रिङ्ग् - रिगिँ गत्यर्थः  लिङ्ग् - लिगिँ गत्यर्थाः  मुङ्ख् - मुखिँ गत्यर्थः इत्यपि केचित्  थङ्क् - थकिँ गत्यर्थः इत्यपि केचित्  रिख् - रिखँ गत्यर्थः इत्यपि केचित्  रिङ्ख् - रिखिँ गत्यर्थः इत्यपि केचित्  लिख् - लिखँ गत्यर्थः इत्यपि केचित्  लिङ्ख् - लिखिँ गत्यर्थः इत्यपि केचित्  त्रख् - त्रखँ गत्यर्थः इत्यपि केचित्  त्रिङ्ख् - त्रिखिँ गत्यर्थः इत्यपि केचित्  शिङ्ख् - शिखिँ गत्यर्थः इत्यपि केचित्  युङ्ग् - युगिँ वर्जने  जुङ्ग् - जुगिँ वर्जने  बुङ्ग् - बुगिँ वर्जने  वुङ्ग् - वुगिँ वर्जने इत्येके  घघ् - घघँ हसने  घग्घ् - घग्घँ हसने इत्येके  दङ्घ् - दघिँ पालने  लङ्घ् - लघिँ शोषणे भाषायां दीप्तौ सीमातिक्रमे च  मङ्घ् - मघिँ मण्डने  शिङ्घ् - शिघिँ आघ्राणे  अर्घ् - अर्घँ मूल्ये  वर्च् - वर्चँ दीप्तौ  सच् - षचँ समवाये  लोच्  शच् - शचँ व्यक्तायां वाचि  श्वच् - श्वचँ गतौ  श्वञ्च् - श्वचिँ गतौ  कच् - कचँ बन्धने  कञ्च् - कचिँ दीप्तिबन्धनयोः  काञ्च् - काचिँ दीप्तिबन्धनयोः  मच् - मचँ कल्कने कथन इत्यन्ये  मुञ्च् - मुचिँ कल्कने कथन इत्यन्ये  मञ्च् - मचिँ धारणोच्छ्रायपूजनेषु  पञ्च् - पचिँ व्यक्तीकरणे  स्तुच् - ष्टुचँ प्रसादे  ऋज् - ऋजँ गतिस्थानार्जनोपार्जनेषु