ସଂସ୍କୃତ କୃତ୍ ପ୍ରତ୍ୟୟ ଅଭ୍ୟାସ - ଠିକ୍ କି ଭୁଲ୍

ଠିକ୍ କି ଭୁଲ୍

कील् - कीलँ बन्धने भ्वादिः + तुमुँन् = कीलितुम्
कील् - कीलँ बन्धने भ्वादिः + ल्युट् = कीलनम्
कील् - कीलँ बन्धने भ्वादिः + शतृँ (नपुं) = कीलद्
कील् - कीलँ बन्धने भ्वादिः + ण्यत् (स्त्री) = कीलनीया
कील् - कीलँ बन्धने भ्वादिः + तृच् (स्त्री) = कीलित्री