ସଂସ୍କୃତ କୃତ୍ ପ୍ରତ୍ୟୟ ଅଭ୍ୟାସ - ଠିକ୍ କି ଭୁଲ୍

ଠିକ୍ କି ଭୁଲ୍

आङ् + क्षि - क्षि क्षये भ्वादिः + ण्वुल् (पुं) = आक्षेतव्यः
आङ् + क्षि - क्षि क्षये भ्वादिः + क्त (स्त्री) = आक्षीणा
आङ् + क्षि - क्षि क्षये भ्वादिः + अनीयर् (नपुं) = आक्षयणीयम्
आङ् + क्षि - क्षि क्षये भ्वादिः + अच् (नपुं) = आक्षयणीयम्
आङ् + क्षि - क्षि क्षये भ्वादिः + तव्य (नपुं) = आक्षयणम्