ಕೃದಂತಗಳು - ಧಾತುಗಳ ಪಟ್ಟಿ


 
भू  एध्  स्पर्ध्  गाध् - गाधृँ प्रतिष्ठालिप्सयोर्ग्रन्थे च  बाध्  नाध् - नाधृँ याच्ञोपतापैश्वर्याशीष्षु  नाथ् - नाथृँ याच्ञोपतापैश्वर्याशीष्षु  दध् - दधँ धारणे  स्कुन्द् - स्कुदिँ आप्रवणे  श्विन्द् - श्विदिँ श्वैत्ये  वन्द्  भन्द् - भदिँ कल्याणे सुखे च  मन्द् - मदिँ स्तुतिमोदमदस्वप्नकान्तिगतिषु  स्पन्द्  क्लिन्द् - क्लिदिँ परिदेवने १ १५  मुद्  दद् - ददँ दाने  स्वद्  स्वर्द् - स्वर्दँ आस्वादने  ऊर्द् - उर्दँ माने क्रीडायां च  कूर्द्  खूर्द् - खुर्दँ क्रीडायामेव  गूर्द् - गुर्द क्रीडायामेव गुडक्रीडायामेव  गुद् - गुदँ क्रीडायामेव  सूद् - षूदँ क्षरणे  ह्राद् - ह्रादँ अव्यक्ते शब्दे  ह्लाद्  स्वाद् - स्वादँ आस्वादने  पर्द् - पर्दँ कुत्सिते शब्दे  यत्  युत् - युतृँ भासणे  जुत् - जुतृँ भासणे  विथ् - विथृँ याचने  वेथ् - वेथृँ याचने  श्रन्थ् - श्रथिँ शैथिल्ये  ग्रन्थ् - ग्रथिँ कौटिल्ये  कत्थ् - कत्थँ श्लाघायाम्  अत् - अतँ सातत्यगमने  चित् - चितीँ सञ्ज्ञाने  च्युत् - च्युतिँर् आसेचने  श्चुत् - श्चुतिँर् आसेचने इत्येके  श्च्युत् - श्च्युतिँर् क्षरणे  ज्युत् - ज्युतिँर् भासने  मन्थ् - मथिँ हिंसासङ्क्लेशनयोः  कुन्थ् - कुथिँ हिंसासङ्क्लेशनयोः  पुन्थ् - पुथिँ हिंसासङ्क्लेशनयोः  लुन्थ् - लुथिँ हिंसासङ्क्लेशनयोः  मन्थ् - मन्थँ विलोडने  सिध् - षिधँ गत्याम्  सिध् - षिधूँ शास्त्रे माङ्गल्ये च  खाद्  खद् - खदँ स्थैर्ये हिंसायां च  बद् - बदँ स्थैर्ये  गद्  रद् - रदँ विलेखने  नद्  अर्द् - अर्दँ गतौ याचने च  नर्द् - नर्दँ शब्दे  गर्द् - गर्दँ शब्दे  तर्द् - तर्दँ हिंसायाम्  कर्द् - कर्दँ कुत्सिते शब्दे  खर्द् - खर्दँ दन्दशूके  अन्त् - अतिँ बन्धने  अन्द् - अदिँ बन्धने  इन्द् - इदिँ परमैश्वर्ये  बिन्द् - बिदिँ अवयवे  भिन्द् - भिदिँ अवयवे इत्येके  गण्ड् - गडिँ वदनैकदेशे १ ६८  निन्द्  नन्द्  चन्द् - चदिँ आह्लादे दीप्तौ च  त्रन्द् - त्रदिँ चेष्टायाम्  कन्द् - कदिँ वैक्लव्ये वैकल्य इत्येके  क्रन्द् - क्रदिँ वैक्लव्ये वैकल्य इत्येके  क्लन्द् - क्लदिँ वैक्लव्ये वैकल्य इत्येके इत्यन्ये  क्लिन्द् - क्लिदिँ परिदेवने १ ७६  शुन्ध् - शुन्धँ शुद्धौ  शीक् - शीकृँ सेचने  सीक् - सीकृँ सेचने इत्येके  लोक्  श्लोक् - श्लोकृँ सङ्घाते  स्रोक् - स्रोकृँ सङ्घाते इति पाठान्तरम्  द्रेक् - द्रेकृँ शब्दोत्साहयोः  ध्रेक् - ध्रेकृँ शब्दोत्साहयोः  रेक् - रेकृँ शङ्कायाम्  सेक् - सेकृँ गतौ  स्रेक् - स्रेकृँ गतौ  स्रङ्क् - स्रकिँ गतौ  श्रङ्क् - श्रकिँ गतौ  श्लङ्क् - श्लकिँ गतौ गत्यर्थः  शङ्क्  अङ्क्  वङ्क् - वकिँ गत्यर्थः  मङ्क् - मकिँ मण्डने  कक् - ककँ लौल्ये  कुक् - कुकँ आदाने  वृक् - वृकँ आदाने  चक् - चकँ तृप्तौ  कङ्क् - ककिँ गत्यर्थः  वङ्क् - वकिँ कौटिल्ये  श्वङ्क् - श्वकिँ गत्यर्थः  त्रङ्क् - त्रकिँ गत्यर्थः  ढौक् - ढौकृँ गत्यर्थः  त्रौक् - त्रौकृँ गत्यर्थः  स्वस्क् - ष्वस्कँ गत्यर्थः  वस्क् - वस्कँ गत्यर्थः  मस्क् - मस्कँ गत्यर्थः  टिक् - टिकृँ गत्यर्थः  टीक् - टीकृँ गत्यर्थः  तिक् - तिकृँ गत्यर्थः  तीक् - तीकृँ गत्यर्थः  रङ्घ् - रघिँ गत्यर्थः  लङ्घ्  स्वङ्क् - ष्वकिँ गत्यर्थः इत्येके  अङ्घ् - अघिँ गत्याक्षेपे गतौ गत्यारम्भे चेत्यपरे  वङ्घ् - वघिँ गत्याक्षेपे गतौ गत्यारम्भे चेत्यपरे  मङ्घ् - मघिँ गत्याक्षेपे गतौ गत्यारम्भे चेत्यपरे मघिँ कैतवे च  राघ् - राघृँ सामर्थ्ये  लाघ् - लाघृँ सामर्थ्ये  द्राघ् - द्राघृँ सामर्थ्ये द्राघृँ आयामे च  ध्राघ् - ध्राघृँ सामर्थ्ये इत्यपि केचित्  श्लाघ्  फक्क् - फक्कँ निचैर्गतौ  तक् - तकँ हसने  तङ्क् - तकिँ कृच्छ्रजीवने  बुक्क् - बुक्कँ भषणे  शुक् - शुकँ गतौ  कख् - कखँ हसने  ओख् - ओखृँ शोषणालमर्थ्योः  राख् - राखृँ शोषणालमर्थ्योः  लाख् - लाखृँ शोषणालमर्थ्योः  द्राख् - द्राखृँ शोषणालमर्थ्योः  ध्राख् - ध्राखृँ शोषणालमर्थ्योः  शाख् - शाखृँ व्याप्तौ  श्लाख् - श्लाखृँ व्याप्तौ  उख् - उखँ गत्यर्थः  उङ्ख् - उखिँ गत्यर्थः  वख् - वखँ गत्यर्थः  वङ्ख् - वखिँ गत्यर्थः  मख् - मखँ गत्यर्थः  मङ्ख् - मखिँ गत्यर्थः  नख् - णखँ गत्यर्थः  नङ्ख् - णखिँ गत्यर्थः  रख् - रखँ गत्यर्थः  रङ्ख् - रखिँ गत्यर्थः  लख् - लखँ गत्यर्थः  लङ्ख् - लखिँ गत्यर्थः  इख् - इखँ गत्यर्थः  इङ्ख् - इखिँ गत्यर्थः  ईख् - ईखँ गत्यर्थः  ईङ्ख् - ईखिँ गत्यर्थः  वल्ग् - वल्गँ गत्यर्थः  रङ्ग् - रगिँ गत्यर्थः  लङ्ग् - लगिँ गत्यर्थः  अङ्ग् - अगिँ गत्यर्थः  वङ्ग् - वगिँ गत्यर्थः  मङ्ग् - मगिँ गत्यर्थः  तङ्ग् - तगिँ गत्यर्थः  त्वङ्ग् - त्वगिँ गत्यर्थः त्वगिँ कम्पने च  त्रङ्ग् - त्रगिँ गत्यर्थः  श्रङ्ग् - श्रगिँ गत्यर्थः  श्लङ्ग् - श्लगिँ गत्यर्थः  इङ्ग् - इगिँ गत्यर्थः  रिङ्ग् - रिगिँ गत्यर्थः  लिङ्ग् - लिगिँ गत्यर्थाः  मुङ्ख् - मुखिँ गत्यर्थः इत्यपि केचित्  थङ्क् - थकिँ गत्यर्थः इत्यपि केचित्  रिख् - रिखँ गत्यर्थः इत्यपि केचित्  रिङ्ख् - रिखिँ गत्यर्थः इत्यपि केचित्  लिख् - लिखँ गत्यर्थः इत्यपि केचित्  लिङ्ख् - लिखिँ गत्यर्थः इत्यपि केचित्  त्रख् - त्रखँ गत्यर्थः इत्यपि केचित्  त्रिङ्ख् - त्रिखिँ गत्यर्थः इत्यपि केचित्  शिङ्ख् - शिखिँ गत्यर्थः इत्यपि केचित्  युङ्ग् - युगिँ वर्जने  जुङ्ग् - जुगिँ वर्जने  बुङ्ग् - बुगिँ वर्जने  वुङ्ग् - वुगिँ वर्जने इत्येके  घघ् - घघँ हसने  घग्घ् - घग्घँ हसने इत्येके  दङ्घ् - दघिँ पालने  लङ्घ् - लघिँ शोषणे भाषायां दीप्तौ सीमातिक्रमे च  मङ्घ् - मघिँ मण्डने  शिङ्घ् - शिघिँ आघ्राणे  अर्घ् - अर्घँ मूल्ये  वर्च् - वर्चँ दीप्तौ  सच् - षचँ समवाये  लोच्  शच् - शचँ व्यक्तायां वाचि  श्वच् - श्वचँ गतौ  श्वञ्च् - श्वचिँ गतौ  कच् - कचँ बन्धने  कञ्च् - कचिँ दीप्तिबन्धनयोः  काञ्च् - काचिँ दीप्तिबन्धनयोः  मच् - मचँ कल्कने कथन इत्यन्ये  मुञ्च् - मुचिँ कल्कने कथन इत्यन्ये  मञ्च् - मचिँ धारणोच्छ्रायपूजनेषु  पञ्च् - पचिँ व्यक्तीकरणे  स्तुच् - ष्टुचँ प्रसादे  ऋज् - ऋजँ गतिस्थानार्जनोपार्जनेषु  ऋञ्ज् - ऋजिँ भर्जने  भृज्  एज् - एजृँ दीप्तौ  भ्रेज् - भ्रेजृँ दीप्तौ  भ्राज्  रेज् - रेजृँ दीप्तौ  ईज् - ईजँ गतिकुत्सनयोः  ईञ्ज् - ईजिँ गतिकुत्सनयोः इत्येके  वीज् - वीजँ गतौ  शुच्  कुच् - कुचँ शब्दे तारे  कुञ्च् - कुञ्चँ कौटिल्याल्पीभावयोः  क्रुञ्च् - क्रुञ्चँ कौटिल्याल्पीभावयोः  लुञ्च् - लुञ्चँ अपनयने  अञ्च् - अञ्चुँ गतौ याचने च  वञ्च् - वञ्चुँ गत्यर्थः  चञ्च् - चञ्चुँ गत्यर्थः  तञ्च् - तञ्चुँ गत्यर्थः  त्वञ्च् - त्वञ्चुँ गत्यर्थः  म्रुञ्च् - म्रुञ्चुँ गत्यर्थः  म्लुञ्च् - म्लुञ्चुँ गत्यर्थः  म्रुच् - म्रुचुँ गत्यर्थः  म्लुच् - म्लुचुँ गत्यर्थाः  ग्रुच् - ग्रुचुँ स्तेयकरणे  ग्लुच् - ग्लुचुँ स्तेयकरणे  कुज् - कुजुँ स्तेयकरणे  खुज् - खुजुँ स्तेयकरणे  ग्लुञ्च् - ग्लुञ्चुँ गतौ  सस्ज् - षस्जँ गतौ  गुज् - गुजँ अव्यक्ते शब्दे  गुञ्ज्  अर्च्  म्लेच्छ् - म्लेछँ अव्यक्ते शब्दे  लच्छ् - लछँ लक्षणे  लाञ्छ् - लाछिँ लक्षणे  वाञ्छ्  आञ्छ् - आछिँ आयामे  ह्रीच्छ् - ह्रीछँ लज्जायाम्  हुर्छ् - हुर्छाँ कौटिल्ये  मूर्छ्  स्फुर्छ् - स्फुर्छाँ विस्तृतौ  युच्छ् - युछँ प्रमादे  उञ्छ् - उछिँ उञ्छे  उच्छ् - उछीँ विवासे  ध्रज् - ध्रजँ गतौ  ध्रञ्ज् - ध्रजिँ गतौ  व्रज् - व्रजँ गतौ १ २४७  व्रञ्ज् - व्रजिँ गतौ  धृज् - धृजँ गतौ  धृञ्ज् - धृजिँ गतौ  ध्वज् - ध्वजँ गतौ  ध्वञ्ज् - ध्वजिँ गतौ  ध्रिज् - ध्रिजँ गतौ च  कूज्  कुञ्ज् - कुजिँ अव्यक्ते शब्दे  अर्ज् - अर्जँ अर्जने  सर्ज् - षर्जँ अर्जने  गर्ज्  तर्ज् - तर्जँ भर्त्सने  कर्ज् - कर्जँ व्यथने  खर्ज् - खर्जँ व्यथने पूजने च  अज् - अजँ गतिक्षपनयोः  तेज् - तेजँ पालने  खज् - खजँ मन्थे  कज् - कजँ मदे इत्येके  खञ्ज् - खजिँ गतिवैकल्ये  एज् - एजृँ कम्पने  स्फूर्ज्  क्षि  क्षीज् - क्षीजँ अव्यक्ते शब्दे  लज् - लजँ भर्जने  लञ्ज् - लजिँ भर्जने  लाज् - लाजँ भर्जने भर्त्सने च  लाञ्ज् - लाजिँ भर्जने भर्त्सने च  जज् - जजँ युद्धे  जञ्ज् - जजिँ युद्धे  तुज् - तुजँ हिंसायाम्  तुञ्ज् - तुजिँ पालने  गज् - गजँ शब्दार्थः  गञ्ज् - गजिँ शब्दार्थः  गृज् - गृजँ शब्दार्थः गजँ मदने च  गृञ्ज् - गृजिँ शब्दार्थः  मुज् - मुजँ शब्दार्थः  मुञ्ज् - मुजिँ शब्दार्थाः  वज् - वजँ गतौ  व्रज्  अट्ट् - अट्टँ अतिक्रमणहिंसनयोः अतिक्रमहिंसयोः  वेष्ट् - वेष्टँ वेष्टने  चेष्ट्  गोष्ट् - गोष्टँ सङ्घाते  लोष्ट् - लोष्टँ सङ्घाते  घट्ट् - घट्टँ चलने  स्फुट् - स्फुटँ विकसने  अण्ठ् - अठिँ गतौ  वण्ठ् - वठिँ एकचर्यायाम्  मण्ठ् - मठिँ शोके  कण्ठ् - कठिँ शोके  मुण्ठ् - मुठिँ पालने  हेठ् - हेठँ विबाधायाम् १ २९९  एठ् - एठँ च विबाधायां  हिण्ड् - हिडिँ गत्यनादरयोः  हुण्ड् - हुडिँ वरणे हरण इत्येके  कुण्ड् - कुडिँ दाहे  वण्ड् - वडिँ विभाजने  मण्ड् - मडिँ च विभाजने  भण्ड् - भडिँ परिभाषणे  पिण्ड् - पिडिँ सङ्घाते  मुण्ड् - मुडिँ मार्जने  तुण्ड् - तुडिँ तोडने  हुण्ड् - हुडिँ सङ्घाते  स्फुण्ड् - स्फुडिँ विकसने  चण्ड् - चडिँ कोपे  शण्ड् - शडिँ रुजायां सङ्घाते च  तण्ड् - तडिँ ताडने  पण्ड् - पडिँ गतौ  कण्ड् - कडिँ मदे  खण्ड् - खडिँ मन्थे  हेड् - हेडृँ अनादरे  होड् - होडृँ अनादरे  बाड् - बाडृ आप्लाव्ये  वाड् - वाडृ आप्लाव्ये इत्येके  द्राड् - द्राडृँ विशरेणे  ध्राड् - ध्राडृँ विशरेणे  शाड् - शाडृँ श्लाघायाम्  शौट् - शौटृँ गर्वे  यौट् - यौटृँ बन्धे  म्रेट् - म्रेटृँ उन्मादे  म्रेड् - म्रेडृँ उन्मादे  म्लेट् - म्लेटृँ उन्मादे इत्येके  कट् - कटीँ गतौ  चट् - चटेँ वर्षावरणयोः इत्येके  अट् - अटँ गतौ  पट् - पटँ गतौ  रट् - रटँ परिभाषणे इत्येके  लट् - लटँ बाल्ये  शट् - शटँ रुजाविशरणगत्यवसादनेषु  वट् - वटँ वेष्टने  किट् - किटँ गतौ  खिट् - खिटँ त्रासे  शिट् - शिटँ अनादरे  सिट् - षिटँ अनादरे  जट् - जटँ सङ्घाते  झट् - झटँ सङ्घाते  भट् - भटँ भृतौ  तट् - तटँ उच्छ्राये  खट् - खटँ काङ्क्षायाम्  नट् - णटँ नृतौ  पिट् - पिटँ शब्दसङ्घातयोः  हट् - हटँ शब्दसङ्घातयोः दीप्तौ च  सट् - षटँ अवयवे  लुट् - लुटँ विलोडने  लुड् - लुडँ विलोडने इत्येके  चिट् - चिटँ परप्रैष्ये परप्रेष्ये  विट् - विटँ शब्दे  बिट् - बिटँ आक्रोशे  हिट् - हिटँ आक्रोशे इत्येके  इट् - इटँ गतौ  किट् - किटँ त्रासे  कट् - कटेँ वर्षावरणयोः  हेठ् - हेठँ विबाधायाम् १ ३६०  मण्ड् - मडिँ भूषायाम्  कुण्ड् - कुडिँ वैकल्ये  कुण्ट् - कुटिँ वैकल्ये इत्येके  मुड् - मुडँ मुटँऽ मर्दने प्रमर्दने  पुड् - पुडँ पुटँ मर्दने प्रमर्दने  मुट् - मुटँ मर्दने प्रमर्दने इत्येके  पुट् - पुटँ मर्दने प्रमर्दने इत्येके  चुण्ड् - चुडिँ अल्पीभावे  मुण्ड् - मुडिँ खण्डने  पुण्ड् - पुडिँ खण्डने चेत्येके  रुण्ट् - रुटिँ स्तेये  लुण्ट् - लुटिँ स्तेये  रुण्ठ् - रुठिँ गतौ  लुण्ठ् - लुठिँ स्तेये इत्येके  रुण्ड् - रुडिँ स्तेये इत्यपरे  लुण्ड् - लुडिँ स्तेये इत्यपरे  वण्ट् - वटिँ विभाजने  बण्ट् - बटिँ विभाजने इत्येके  स्फुट् - स्फुटिँर् विशरणे  स्फुण्ट् - स्फुटिँ विशरणे इत्यपि केचित्  पठ्  वठ् - वठँ स्थौल्ये  बठ् - बठँ स्थौल्ये इत्येके  मठ् - मठँ मदनिवासयोः  कठ् - कठँ कृच्छ्रजीवने  रठ् - रठँ परिभाषणे  रट्  हठ् - हठँ प्लुतिशठत्वयोः बलात्कार इत्यन्ये  रुठ् - रुठँ उपघाते  लुठ् - लुठँ उपघाते प्रतिघाते  ऊठ् - ऊठँ उपघाते  उठ् - उठँ उपघाते प्रतिघाते  पिठ् - पिठँ हिंसासङ्क्लेशनयोः  शठ् - शठँ हिंसासङ्क्लेशनयोः कैतवे च  शुठ् - शुठँ गतिप्रतिघाते प्रतिघाते  शुण्ठ् - शुठिँ गतिप्रतिघाते प्रतिघाते इत्येके  कुण्ठ् - कुठिँ च गतिप्रतिघाते प्रतिघाते इत्येके  लुण्ठ् - लुठिँ आलस्ये प्रतिघाते च  शुण्ठ् - शुठिँ शोषणे  रुण्ठ् - रुठिँ स्तेये इत्येके  लुण्ठ् - लुठिँ गतौ  चुड्ड् - चुड्डँ भावकरणे  अड्ड् - अड्डँ अभियोगे  कड्ड् - कड्डँ कार्कश्ये  क्रीड्  तुड् - तुडृँ तोडने  तूड् - तूडृँ तोडने इत्येके  हुड् - हुडृँ गतौ  हूड् - हूडृँ गतौ  होड् - होडृँ गतौ  रौड् - रौडृँ अनादरे  रोड् - रोडृँ उन्मादे  लोड् - लोडृँ उन्मादे  अड् - अडँ उद्यमे  लड् - लडँ विलासे  लल् - ललँ विलासे इत्येके ईप्सायाम्  कड् - कडँ मदे  कण्ड् - कडिँ मदे इत्येके  गण्ड् - गडिँ वदनैकदेशे १ ४१९  तिप् - तिपृँ क्षरणार्थः  तेप् - तेपृँ क्षरणार्थः तेपृँ कम्पने च  स्तिप् - ष्टिपृँ क्षरणार्थः  स्तेप् - ष्टेपृँ क्षरणार्थः  ग्लेप् - ग्लेपृँ च कम्पने  वेप्  केप् - केपृँ कम्पने च  गेप् - गेपृँ कम्पने च  ग्लेप् - ग्लेपृँ दैन्ये  मेप् - मेपृँ गतौ  रेप् - रेपृँ गतौ  लेप् - लेपृँ गतौ  हेप् - हेपृँ च गतौ  धेप् - धेपृँ च गतौ  त्रप्  कम्प्  रम्ब् - रबिँ शब्दे  लम्ब्  अम्ब् - अबिँ शब्दे  लम्ब् - लबिँ शब्दे  कब् - कबृँ वर्णे  क्लीब् - क्लीबृँ अधार्ष्ठ्ये  क्षीब् - क्षीबृँ मदे  क्षीव् - क्षीवृँ मदे इत्येके  शीभ् - शीभृँ कत्थने च  बीभ् - बीभृँ कत्थने च  चीभ् - चीभृँ च कत्थने  रेभ् - रेभृँ शब्दे  अम्भ् - अभिँ शब्दे क्वचित्पठ्यते  रम्भ् - रभिँ शब्दे क्वचित्पठ्यते इत्येके  लम्भ् - लभिँ च शब्दे क्वचित्पठ्यते  स्तम्भ्  स्कम्भ् - स्कभिँ प्रतिबन्धे  जभ् - जभीँ गात्रविनामे  जृम्भ्  शल्भ् - शल्भँ कत्थने  वल्भ् - वल्भँ भोजने  गल्भ् - गल्भँ धार्ष्ट्ये  श्रम्भ् - श्रम्भुँ प्रमादे  स्रम्भ् - स्रम्भुँ प्रमादे इत्येके  स्तुभ् - ष्टुभुँ स्तम्भे  गुप् - गुपूँ रक्षणे  धूप् - धूपँ सन्तापे  जप्  जल्प्  चप् - चपँ सान्त्वने  सप् - षपँ समवाये  रप् - रपँ व्यक्तायां वाचि  लप्  चुप् - चुपँ मन्दायां गतौ  तुप् - तुपँ हिंसार्थः  तुम्प् - तुम्पँ हिंसार्थः  त्रुप् - त्रुपँ हिंसार्थः  त्रुम्प् - त्रुम्पँ हिंसार्थः  तुफ् - तुफँ हिंसार्थः  तुम्फ् - तुम्फँ हिंसार्थः  त्रुफ् - त्रुफँ हिंसार्थः  त्रुम्फ् - त्रुम्फँ हिंसार्थाः  पर्प् - पर्पँ गतौ  रफ् - रफँ गतौ  रम्फ् - रफिँ गतौ  अर्ब् - अर्बँ गतौ  पर्ब् - पर्बँ गतौ  लर्ब् - लर्बँ गतौ  बर्ब् - बर्बँ गतौ  मर्ब् - मर्बँ गतौ  कर्ब् - कर्बँ गतौ  खर्ब् - खर्बँ गतौ  गर्ब् - गर्बँ गतौ  शर्ब् - शर्बँ गतौ  सर्ब् - षर्बँ गतौ  चर्ब् - चर्बँ गतौ चर्बँ अदने च  कुम्ब् - कुबिँ आच्छादने छादने  लुम्ब् - लुबिँ अर्दने  तुम्ब् - तुबिँ अर्दने  चुम्ब्  सृभ् - षृभुँ हिंसार्थः  सृम्भ् - षृम्भुँ हिंसार्थौ  सिभ् - षिभुँ हिंसार्थः इत्येके  सिम्भ् - षिम्भुँ हिंसार्थः इत्येके  शुभ्  शुम्भ् - शुम्भँ भाषने भासन इत्येके हिंसायामित्यन्ये  घिण्ण् - घिणिँ ग्रहणे  घुण्ण् - घुणिँ ग्रहणे  घृण्ण् - घृणिँ ग्रहणे  घुण् - घुणँ भ्रमणे  घूर्ण् - घूर्णँ भ्रमणे  पण्  पन् - पनँ च व्यवहारे स्तुतौ च  भाम् - भामँ क्रोधे  क्षम् - क्षमूँष् सहने  कामि  अण् - अणँ शब्दार्थः  रण् - रणँ गतौ मित् इति भोजः ०९३२  वण् - वणँ शब्दार्थः  भण् - भणँ शब्दार्थः  मण् - मणँ शब्दार्थः  कण् - कणँ गतौ  क्वण् - क्वणँ शब्दार्थः  व्रण् - व्रणँ शब्दार्थः  भ्रण् - भ्रणँ शब्दार्थः  ध्वण् - ध्वणँ शब्दार्थाः  धण् - धणँ शब्दार्थः इत्यपि केचित्  ओण् - ओणृँ अपनयने  शोण् - शोणृँ वर्णगत्योः  श्रोण् - श्रोणृँ सङ्घाते  श्लोण् - श्लोणृँ च सङ्घाते  पैण् - पैणृँ गतिप्रेरणश्लेषणेषु  प्रैण् - प्रैणृँ इत्यपि गतिप्रेरणश्लेषणेषु  ध्रण् - ध्रणँ शब्दे  बण् - बणँ शब्दे इत्यपि केचित्  कन् - कनीँ दीप्तिकान्तिगतिषु  स्तन् - ष्टनँ शब्दे  वन् - वनँ शब्दे  वन् - वनँ सम्भक्तौ  सन् - षनँ सम्भक्तौ  अम् - अमँ गत्यादिषु गतौ शब्दे सम्भक्तौ च  द्रम् - द्रमँ गतौ  हम्म् - हम्मँ गतौ  मीम् - मीमृँ गतौ मीमृँ शब्दे च  चम् - चमुँ अदने न मित् १९५१  छम् - छमुँ अदने  जम् - जमुँ अदने  झम् - झमुँ अदने  जिम् - जिमुँ अदने इति केचित्  क्रम्  अय्  वय् - वयँ गतौ  पय् - पयँ गतौ  मय् - मयँ गतौ  चय् - चयँ गतौ  तय् - तयँ गतौ  नय् - णयँ गतौ णयँ रक्षणे च  दय्  रय् - रयँ गतौ  लय् - लयँ च गतौ  ऊय् - ऊयीँ तन्तुसन्ताने  पूय् - पूयीँ विशरणे दुर्गन्धे च  क्नूय् - क्नूयीँ शब्द उन्दे च  क्ष्माय् - क्ष्मायीँ विधूनने  स्फाय् - स्फायीँ वृद्धौ  प्याय् - ओँप्यायीँ वृद्धौ  ताय् - तायृँ सन्तानपालनयोः  शल् - शलँ चलनसंवरणयोः  वल् - वल संवरणे सञ्चलने च मित् इति भोजः ०९३०  वल्ल् - वल्लँ संवरणे सञ्चलने च  मल् - मलँ धारणे  मल्ल् - मल्लँ धारणे  भल् - भलँ परिभाषणहिंसादानेषु  भल्ल् - भल्लँ परिभाषणहिंसादानेषु  कल् - कलँ शब्दसङ्ख्यानयोः  कल्ल् - कल्लँ अव्यक्ते शब्दे अशब्द इत्येके  तेव् - तेवृँ देवने  देव् - देवृँ देवने  सेव्  गेव् - गेवृँ सेवने  ग्लेव् - ग्लेवृँ सेवने  पेव् - पेवृँ सेवने  मेव् - मेवृँ सेवने  म्लेव् - म्लेवृँ सेवने  शेव् - शेवृँ सेवने इत्यप्येके  खेव् - खेवृँ सेवने इत्यप्येके  प्लेव् - प्लेवृँ सेवने इत्यप्येके  केव् - केवृँ सेवने इत्यप्येके  रेव् - रेवृँ प्लवगतौ  मव्य् - मव्यँ बन्धने  सूर्क्ष्य् - षूर्क्ष्यँ ईर्ष्यार्थः  ईर्क्ष्य् - ईर्क्ष्यँ ईर्ष्यार्थः  ईर्ष्य्  हय् - हयँ गतौ  शुच्य् - शुच्यँ अभिषवे  चुच्य् - चुच्यँ अभिषवे इत्येके  हर्य् - हर्यँ गतिकान्त्योः  अल् - अलँ भूषणपर्याप्तिवारणेषु  फल्  मील्  श्मील् - श्मीलँ निमेषणे  स्मील् - स्मीलँ निमेषणे  क्ष्मील् - क्ष्मीलँ निमेषणे  पील् - पीलँ प्रतिष्टम्भे  नील् - णीलँ वर्णे  शील् - शीलँ समाधौ  कील्  कूल् - कूलँ आवरणे  शूल् - शूलँ रुजायां सङ्घाते च  तूल् - तूलँ निष्कर्षे  पूल् - पूलँ सङ्घाते  मूल् - मूलँ प्रतिष्ठायाम्  फल् - फलँ निष्पत्तौ  चुल्ल् - चुल्लँ भावकरणे  फुल्ल्  चिल्ल् - चिल्लँ शैथिल्ये भावकरणे च  तिल् - तिलँ गतौ  तिल्ल् - तिल्लँ गतौ इत्येके  वेल् - वेलृँ चलने  चेल् - चेलृँ चलने  केल् - केलृँ चलने  खेल्  क्ष्वेल् - क्ष्वेलृँ चलने  वेल्ल् - वेल्लँ चलने  वेह्ल् - वेह्लँ चलने  पल्ल् - पल्लँ गतौ  फेल् - फेलृँ गतौ  शेल् - शेलृँ गतौ  सेल् - षेलृँ गतौ इत्येके  स्खल्  खल् - खलँ सञ्चलने सञ्चये च  गल् - गलँ अदने भक्षणे स्रावे च  सल् - षलँ गतौ  दल्  श्वल् - श्वलँ आशुगमने  श्वल्ल् - श्वल्लँ आशुगमने  खोल् - खोलृँ गतिप्रतिघाते  खोर् - खोरृँ गतिप्रतिघाते  धोर् - धोरृँ गतिचातुर्ये  त्सर् - त्सरँ छद्मगतौ  क्मर् - क्मरँ हूर्छने  अभ्र् - अभ्रँ गत्यर्थः  वभ्र् - वभ्रँ गत्यर्थः  मभ्र् - मभ्रँ गत्यर्थः  चर्  ष्ठिव्  जि - जि अभिभवे  जीव्  पीव्  मीव् - मीवँ स्थौल्ये  तीव् - तीवँ स्थौल्ये  नीव् - णीवँ स्थौल्ये  क्षिव् - क्षिवुँ निरसने  क्षेव् - क्षेवुँ निरसने  उर्व् - उर्वीँ हिंसार्थः  तुर्व् - तुर्वी हिंसार्थः  थुर्व् - थुर्वी हिंसार्थः  दुर्व् - दुर्वीँ हिंसार्थः  धुर्व् - धुर्वीँ हिंसार्थाः  गुर्व् - गुर्वीँ उद्यमने  मुर्व् - मुर्वीँ बन्धने  पुर्व् - पुर्वँ पूरणे  पर्व् - पर्वँ पूरणे  मर्व् - मर्वँ पूरणे  चर्व्  भर्व् - भर्वँ हिंसायाम्  भर्ब् - भर्बँ हिंसायाम् इत्येके  भर्भ् - भर्भँ हिंसायाम् इत्यन्ये  कर्व् - कर्वँ दर्पे  खर्व् - खर्वँ दर्पे  गर्व् - गर्वँ दर्पे  अर्व् - अर्वँ हिंसायाम्  शर्व् - शर्वँ हिंसायाम्  सर्व् - षर्वँ हिंसायाम्  इन्व् - इविँ व्याप्तौ  पिन्व् - पिविँ सेचने सेचने चेत्येके  मिन्व् - मिविँ सेचने सेचने चेत्येके  निन्व् - णिविँ सेचने सेचने चेत्येके  सिन्व् - षिविँ सेचने इत्येके सेवन इति तरङ्गिण्याम्  हिन्व् - हिविँ प्रीणनार्थः  दिन्व् - दिविँ प्रीणनार्थः  धिन्व् - धिविँ प्रीणनार्थः  जिन्व् - जिविँ प्रीणनार्थाः  रिन्व् - रिविँ गत्यर्थः  रन्व् - रविँ गत्यर्थः  धन्व् - धविँ गत्यर्थाः  कृन्व् - कृविँ हिंसाकरणयोश्च  मव् - मवँ बन्धने  अव्  धाव्  धुक्ष् - धुक्षँ सन्दीपनक्लेशनजीवनेषु  धिक्ष् - धिक्षँ सन्दीपनक्लेशनजीवनेषु  वृक्ष् - वृक्षँ वरणे  शिक्ष्  भिक्ष्  क्लेश् - क्लेशँ अव्यक्तायां वाचि बाधन इत्यन्ये इति दुर्गः  दक्ष् - दक्षँ वृद्धौ शीघ्रार्थे च  दीक्ष् - दीक्षँ मौण्ड्येज्योपनयननियमव्रतादेशेषु  ईक्ष्  ईष् - ईषँ गतिहिंसादर्शनेषु  भाष्  वर्ष् - वर्षँ स्नेहने  गेष् - गेषृँ अन्विच्छायाम्  ग्लेष् - ग्लेषृँ अन्विच्छायाम् इत्येके  पेष् - पेषृँ प्रयत्ने  एष् - एषृँ प्रयत्ने इत्येके  येष् - येषृँ प्रयत्ने इत्यन्ये  जेष् - जेषृँ गतौ  नेष् - णेषृँ गतौ  एष् - एषृँ गतौ  प्रेष् - प्रेषृँ गतौ  रेष्  हेष्  ह्रेष् - ह्रेषृँ अव्यक्ते शब्दे  कास् - कासृँ शब्दकुत्सायाम्  भास्  नास् - णासृँ शब्दे  रास् - रासृँ शब्दे  नस् - णसँ कौटिल्ये  भ्यस् - भ्यसँ भये  शंस् - शसिँ इच्छायाम्  ग्रस् - ग्रसुँ अदने  ग्लस् - ग्लसुँ अदने  ईह्  बंह् - बहिँ वृद्धौ  मंह् - महिँ वृद्धौ  अंह् - अहिँ गतौ  गर्ह्  गल्ह् - गल्हँ कुत्सायाम्  बर्ह् - बर्हँ प्राधान्ये  बल्ह् - बल्हँ प्राधान्ये  वर्ह् - वर्हँ परिभाषणहिंसाच्छादनेषु  वल्ह् - वल्हँ परिभाषणहिंसाच्छादनेषु  प्लिह् - प्लिहँ गतौ  बेह् - बेहृँ प्रयत्ने  जेह् - जेहृँ प्रयत्ने जेहृँ गतावपि  बाह् - बाहृँ प्रयत्ने  द्राह् - द्राहृँ निद्राक्षये निक्षेप इत्येके  काश् - काशृँ दीप्तौ  ऊह्  गाह्  गृह् - गृहूँ ग्रहणे  ग्लह् - ग्लहँ ग्रहणे च अपादाने  घु - घुङ् शब्दे  घष् - घषँ कान्तिकरणे इति केचित्  घुष् - घुषिँर् अविशब्दने शब्द इत्यन्ये पेठुः  अक्ष् - अक्षूँ व्याप्तौ  तक्ष् - तक्षँ त्वचने  त्वक्ष् - त्वक्षूँ तनूकरणे  उक्ष् - उक्षँ सेचने  रक्ष्  निक्ष् - णिक्षँ चुम्बने  त्रक्ष् - त्रक्षँ गतौ  स्त्रक्ष् - ष्ट्रक्षँ गतौ  तृक्ष् - तृक्षँ गतौ  स्तृक्ष् - ष्टृक्षँ गतौ  नक्ष् - णक्षँ गतौ  वक्ष् - वक्षँ रोषे सङ्घात इत्येके  मृक्ष् - मृक्षँ सङ्घाते  म्रक्ष् - म्रक्षँ सङ्घाते इत्येके  तक्ष्  पक्ष् - पक्षँ परिग्रह इत्येके  सूर्क्ष् - सूर्क्षँ आदरे  सर्क्ष् - षर्क्षँ आदरे इति केचित्  काङ्क्ष्  वाङ्क्ष् - वाक्षिँ काङ्क्षायाम्  माङ्क्ष् - माक्षिँ काङ्क्षायाम्  द्राङ्क्ष् - द्राक्षिँ काङ्क्षायाम् घोरवासिते च  ध्राङ्क्ष् - ध्राक्षिँ काङ्क्षायाम् घोरवासिते च  ध्वाङ्क्ष् - ध्वाक्षिँ ध्माक्षिँ काङ्क्षायाम् घोरवासिते च  ध्माङ्क्ष् - ध्माक्षिँ काङ्क्षायाम् घोरवासिते च इत्येके  चूष्  तूष् - तूषँ तुष्टौ  पूष् - पूषँ वृद्धौ  मूष् - मूषँ स्तेये  लूष् - लूषँ भूषायाम्  रूष् - रूषँ भूषायाम्  शूष् - शूषँ प्रसवे  सूष् - सूषँ प्रसवे इत्येके  यूष् - यूषँ हिंसायाम्  जूष् - जूषँ च हिंसायाम्  भूष् - भूषँ अलङ्कारे  तंस् - तसिँ अलङ्कारे  ऊष् - ऊषँ रुजायाम्  ईष् - ईषँ उञ्छे  कष् - कषँ हिंसार्थः  खष् - खषँ हिंसार्थः  शिष् - शिषँ हिंसार्थः  जष् - जषँ हिंसार्थः  झष् - झषँ हिंसार्थः  शष् - शषँ हिंसार्थः  वष् - वषँ हिंसार्थः  मष् - मषँ हिंसार्थः  रुष् - रुषँ हिंसार्थः  रिष् - रिषँ हिंसार्थाः  भष्  उष् - उषँ दाहे  जिष् - जिषुँ सेचने  विष् - विषुँ सेचने  मिष् - मिषुँ सेचने  निष् - णिषुँ सेचने  पुष् - पुषँ पुष्टौ  श्रिष् - श्रिषुँ दाहे  श्लिष् - श्लिषुँ दाहे  प्रुष् - प्रुषुँ दाहे  प्लुष् - प्लुषुँ दाहे  पृष् - पृषुँ सेचने हिंसासङ्क्लेशनयोश्च  वृष्  मृष्  घृष्  हृष् - हृषुँ अलीके  तुस् - तुसँ शब्दे  ह्रस् - ह्रसँ शब्दे  ह्लस् - ह्लसँ शब्दे  रस् - रसँ शब्दे  लस् - लसँ शब्दे श्लेषणक्रीडनयोः च  घस् - घसॢँ अदने  जर्त्स् - जर्त्सँ परिभाषणहिंसातर्जनेषु  चर्च् - चर्चँ परिभाषणहिंसातर्जनेषु  झर्त्स् - झर्त्सँ परिभाषणहिंसातर्जनेषु  पिस् - पिसृँ गतौ  पेस् - पेसृँ गतौ  विस् - विसँ गतौ  वेस् - वेसँ गतौ  बिस् - बिसँ गतौ  बेस् - बेसँ गतौ  हस्  निश् - णिशँ समाधौ  मिश् - मिशँ शब्दे  मश् - मशँ शब्दे  शव् - शवँ गतौ  शश्  शस् - शसुँ हिंसायाम्  शंस्  चह् - चहँ परिकल्कने  मह् - महँ पूजायाम्  रह् - रहँ त्यागे  रंह् - रहिँ गतौ  दृह् - दृहँ वृद्धौ  दृंह्  बृह् - बृहँ वृद्धौ बृहिँर् वृहिँर् वृद्धौ शब्दे च इत्येके  बृंह्  तुह् - तुहिँर् अर्दने  दुह् - दुहिँर् अर्दने  उह् - उहिँर् अर्दने  अर्ह्  द्युत्  श्वित् - श्विताँ वर्णे  मिद्  स्विद् - ञिष्विदाँ स्नेहनमोचनयोः गात्रप्रस्रवणे स्नेहनमोहनयोरित्येके  क्ष्विद् - ञिक्ष्विदाँ स्नेहनमोचनयोः गात्रप्रस्रवणे स्नेहनमोहनयोरित्येके  रुच्  घुट् - घुटँ परिवर्तने  रुट् - रुटँ उपघाते प्रतिघाते  लुट् - लुटँ उपघाते प्रतिघाते  लुठ् - लुठँ उपघाते  उठ् - उठँ उपघाते इत्येके  शुभ् - शुभँ भाषने भासन इत्येके हिंसायामित्यन्ये  क्षुभ्  नभ् - णभँ हिंसायाम् अभावेऽपि  तुभ् - तुभँ हिंसायाम्  स्रंस् - स्रंसुँ अवस्रंसने  ध्वंस् - ध्वंसुँ अवस्रंसने ध्वंसुँ गतौ च  भ्रंस् - भ्रंसुँ अवस्रंसने  भ्रंश् - भ्रंशुँ अवस्रंसने इत्यपि केचित्  स्रम्भ् - स्रम्भुँ विश्वासे  वृत्  वृध्  शृध् - शृधुँ उन्दने  स्यन्द् - स्यन्दूँ प्रस्रवणे  कृप्  घट्  व्यथ्  प्रथ्  प्रस् - प्रसँ विस्तारे  म्रद् - म्रदँ मर्दने  स्खद् - स्खदँ स्खदने स्खदिर् अवपरिभ्यां च न मित् १९५४  क्षञ्ज् - क्षजिँ गतिदानयोः  दक्ष् - दक्षँ गतिहिंसनयोः गतिशासनयोः वृद्धौ शीघ्रार्थे च  कृप् - कृपँ क्रपँम् कपँम् कृपायां गतौ च  क्रप् - क्रपँ कृपायां गतौ च इत्येके  कप् - कपँ कृपायां गतौ च इत्यन्ये  कन्द् - कदिँ आह्वाने रोदने च  क्रन्द्  क्लन्द् - क्लदिँ आह्वाने रोदने च  कद् - कदँ वैक्लव्ये वैकल्य इत्येके इत्यन्ये  क्रद् - क्रदँ वैक्लव्ये वैकल्य इत्येके इत्यन्ये  क्लद् - क्लदँ वैक्लव्ये वैकल्य इत्येके इत्यन्ये  त्वर्  ज्वर्  गड् - गडँ सेचने  हेड् - हेडँ वेष्टने  वट् - वटँ परिभाषणे  भट् - भटँ परिभाषणे  नट् - णटँ नृत्तौ नतावित्येके गतावित्यन्ये  स्तक् - ष्टकँ प्रतिघाते प्रतीघाते  चक् - चकँ तृप्तौ प्रतिघाते च  कख् - कखेँ हसने  रग् - रगेँ शङ्कायाम्  लग् - लगेँ सङ्गे  ह्रग् - ह्रगेँ संवरणे  ह्लग् - ह्लगेँ संवरणे  सग् - षगेँ संवरणे  स्थग् - ष्ठगेँ संवरणे  कग् - कगेँ नोच्यते क्रियासामान्यार्थत्वात् अनेकार्थत्वादित्यन्ये  अक् - अकँ कुटिलायां गतौ  अग् - अगँ कुटिलायां गतौ  कण् - कणँ शब्दार्थः  रण् - रणँ शब्दार्थः मित् इति भोजः ०९३२  चण् - चणँ गतौ दाने च  शण् - शणँ गतौ दाने च शणँ गतावित्यन्ये  श्रण् - श्रणँ गतौ दाने च  श्रथ् - श्रथँ हिंसार्थः  श्नथ् - श्नथँ हिंसार्थः  श्लथ् - श्लथँ हिंसार्थः  क्नथ् - क्नथँ हिंसार्थः  क्रथ् - क्रथँ हिंसार्थः  क्लथ् - क्लथँ हिंसार्थाः  चन् - चनँ च हिंसार्थः  वन् - वनुँ च नोच्यते नोपलभ्यते  ज्वल् - ज्वलँ दीप्तौ १ ९१६  ह्वल् - ह्वलँ सञ्चलने चलने मित् अनुपसर्गाद्वा १९४२  ह्मल् - ह्मलँ सञ्चलने चलने मित् अनुपसर्गाद्वा १९४३  स्मृ - स्मृ आध्याने  दॄ - दॄ भये  नॄ - नॄ नये  श्रा - श्रा पाके  स्वन् - स्वनँ अवतंसने मित्  फण् - फणँ गतौ गतिदीप्त्योः  राज्  भ्राज् - भ्राजृँ दीप्तौ  भ्राश् - टुभ्राशृँ दीप्तौ  भ्लाश् - टुभ्लाशृँ दीप्तौ  स्यम् - स्यमुँ शब्दे  स्वन्  ध्वन्  सम् - षमँ अवैकल्ये वैकल्ये  स्तम् - ष्टमँ अवैकल्ये वैकल्ये  ज्वल् - ज्वलँ दीप्तौ १ ९६५  चल्  जल् - जलँ घातने  टल् - टलँ वैकल्ये  ट्वल् - ट्वलँ वैकल्ये  स्थल् - ष्ठलँ स्थाने  हल् - हलँ विलेखने  नल् - णलँ गन्धे बन्धन इत्येके  पल् - पलँ गतौ  बल् - बलँ प्राणने धान्यावरोधे च धान्यावरोधने च  पुल् - पुलँ महत्त्वे  कुल् - कुलँ संस्त्याने बन्धुषु च  शल् - शलँ गतौ  हुल् - हुलँ हिंसासंवरणयोश्च हिंसायां संवरणे च  पत्  हुल् - हुलँ गतौ  क्वथ्  पथ् - पथेँ गतौ  मथ् - मथेँ विलोडने  वम्  भ्रम्  क्षर् - क्षरँ सञ्चलने  क्षुर् - क्षुरँ सञ्चये  सह्  रम्  सद् - षदॢँ विशरणगत्यवसादनेषु  शद् - शदॢँ शातने  क्रुश्  कुच् - कुचँ सम्पर्चनकौटिल्यप्रतिष्टम्भविलेखनेषु  बुध् - बुधँ अवगमने  रुह्  कस् - कसँ गतौ  हिक्क्  अञ्च्  अच् - अचुँ गतौ याचने च इत्येके  अञ्च् - अचिँ गतौ याचने च इत्येपरे  याच्  रेट् - रेटृँ परिभाषणे  चत् - चतेँ परिभाषणे याचने च  चद् - चदेँ परिभाषणे याचने च  प्रोथ् - प्रोथृँ पर्याप्तौ  मिद् - मिदृँ मेधाहिंसनयोः  मेद् - मेदृँ मेधाहिंसनयोः  मिथ् - मिथृँ मेधाहिंसनयोः इत्येके  मेथ् - मेथृँ मेधाहिंसनयोः इत्येके  मिध् - मिधृँ मेधाहिंसनयोः इत्यन्ये  मेध् - मेधृँ मेधाहिंसनयोः इत्यन्ये मेधृँ सङ्गमे च  निद् - णिदृँ कुत्सासन्निकर्षयोः  नेद् - णेदृँ कुत्सासन्निकर्षयोः  शृध् - शृधुँ शब्दकुत्सायाम्  मृध् - मृधुँ उन्दने  बुध् - बुधिँर् बोधने  बुन्द् - उँबुन्दिँर् निशामने  वेण् - वेणृँ गतिज्ञानचिन्तानिशामनवादित्रग्रहणेषु  वेन् - वेनृँ गतिज्ञानचिन्तानिशामनवादित्रग्रहणेषु इत्येके  खन्  चीव् - चीवृँ आदानसंवरणयोः  चीब् - चीबृँ आदानसंवरणयोः इत्येके  चाय् - चायृँ पूजानिशामनयोः  व्यय् - व्ययँ गतौ  दाश् - दाशृँ दाने  भेष् - भेषृँ भये गतावित्येके  भ्रेष् - भ्रेषृँ गतौ  भ्लेष् - भ्लेषृँ गतौ  अस् - असँ गतिदीप्त्यादानेषु  अष् - अषँ गतिदीप्त्यादानेषु इत्येके  अय् - अयँ गतौ १ १०३१  स्पश् - स्पशँ बाधनस्पर्शनयोः  लष् - लषँ कान्तौ  चष् - चषँ भक्षणे  छष् - छषँ हिंसायाम्  झष् - झषँ आदानसंवरणयोः  भ्रक्ष् - भ्रक्षँ अदने  भ्लक्ष् - भ्लक्षँ अदने  भक्ष् - भक्षँ अदने इति मैत्रेयः  प्लक्ष् - प्लक्षँ च अदने  दास् - दासृँ दाने  माह् - माहृँ माने  गुह् - गुहूँ संवरणे  श्रि  भृ - भृञ् भरणे  हृ  धृ - धृङ् अवध्वंसने  कृ - कृञ् करणे  नी  धे  ग्लै  म्लै  द्यै - द्यै न्यक्करणे  द्रै - द्रै स्वप्ने  ध्रै - ध्रै तृप्तौ  ध्यै  रै - रै शब्दे  स्त्यै - स्त्यै शब्दसङ्घातयोः  स्त्यै - ष्ट्यै शब्दसङ्घातयोः  खै - खै खदने  क्षै - क्षै क्षये  जै - जै क्षये  सै - षै क्षये  कै - कै शब्दे  गै  शै - शै पाके  श्रै - श्रै पाके  स्रै - स्रै पाके इति केषुचित्पाठः  पै - पै शोषणे  वै - ओँवै शोषणे  स्तै - ष्टै वेष्टने शोभायां चेत्येके  स्नै - ष्णै वेष्टने शोभायां चेत्येके  दै - दैप् शोधने  पा  घ्रा  ध्मा  स्था  म्ना - म्ना अभ्यासे  दा - दाण् दाने  ह्वृ - ह्वृ संवरणे वरणे इत्येके  स्वृ - स्वृ शब्दोपतापयोः  स्मृ  द्वृ - द्वृ संवरणे वरणे  ह्वृ - ह्वृ कौटिल्ये  सृ    गृ - गृ सेचने  घृ - घृ सेचने  ध्वृ - ध्वृ हूर्छने  स्रु - स्रु गतौ  सु - षु प्रसवसैश्वर्ययोः  श्रु  ध्रु  दु - दु गतौ  द्रु  जि  ज्रि - ज्रि अभिभवे  जु - जुङ् गतौ  स्मि  गु - गुङ् अव्यक्ते शब्दे  गा - गाङ् गतौ  उ - उङ् शब्दे  कु - कुङ् शब्दे  खु - खुङ् शब्दे  गु - गुङ् शब्दे  घुंष् - घुषिँ कान्तिकरणे  ङु - ङुङ् शब्दे  च्यु - च्युङ् गतौ  ज्यु - ज्युङ् गतौ  जु - जु इति सौत्रो धातुः गत्यर्थः  प्रु - प्रुङ् गतौ  प्लु  क्लु - क्लुङ् गतौ इत्येके  रु - रुङ् गतिरोषणयोः  धृ - धृञ् धारणे  मे - मेङ् प्रणिदाने  दे - देङ् रक्षणे  श्यै - श्यैङ् गतौ  प्यै - प्यैङ् वृद्धौ  त्रै  पू - पूङ् पवने  मू - मूङ् बन्धने  डी  तॄ  गुप् - गुपँ गोपने  तिज् - तिजँ निशाने  मान् - मानँ पूजायाम्  बध् - बधँ बन्धने  रभ् - रभँ राभस्ये  लभ्  स्वञ्ज् - ष्वञ्जँ परिष्वङ्गे  हद् - हदँ पुरीषोत्सर्गे  क्ष्विद् - ञिक्ष्विदाँ अव्यक्ते शब्दे  स्कन्द् - स्कन्दिँर् गतिशोषणयोः  यभ् - यभँ मैथुने विपरीतमैथुने  नम्  गम्  सृप्  यम्  तप्  त्यज्  सञ्ज् - षञ्जँ सङ्गे  दृश्  दंश्  कृष्  दह्  मिह् - मिहँ सेचने  चिकित्स - कितँ निवासे रोगापनयने च  दान् - दानँ खण्डने अवखण्डने  शान् - शानँ तेजने अवतेजने  पच्  सच् - षचँ सेचने सेवने च  भज्  रञ्ज्  शप्  त्विष् - त्विषँ दीप्तौ  यज्  वप्  वह्  वस्  वे  व्ये - व्येञ् संवरणे  ह्वे  वद्  श्वि - टुओँश्वि गतिवृद्ध्योः 
 
अद्  हन्  द्विष्  दुह्  दिह् - दिहँ उपचये  लिह्  चक्ष् - चक्षिँङ् व्यक्तायां वाचि अयं दर्शनेऽपि  ईर् - ईरँ गतौ कम्पने च  ईड् - ईडँ स्तुतौ  ईश् - ईशँ ऐश्वर्ये  आस्  शास् - शासुँ इच्छायाम् नित्यमाङ्पूर्वः  वस् - वसँ आच्छादने  कंस् - कसिँ गतिशासनयोः  कस् - कसँ गतिशासनयोः इत्येके  कश् - कशँ गतिशासनयोः इत्यन्ये इत्यपि  निंस् - णिसिँ चुम्बने  निञ्ज् - णिजिँ शुद्धौ  शिञ्ज् - शिजिँ अव्यक्ते शब्दे  पिञ्ज् - पिजिँ वर्णे सम्पर्चन इत्येके उभयन्नेत्यन्ये अवयव इत्यपरे अव्यक्ते शब्द इतीतरे  पृञ्ज् - पृजिँ वर्णे सम्पर्चन इत्येके उभयन्नेत्यन्ये अवयव इत्यपरे अव्यक्ते शब्द इतीतरे  वृज् - वृजीँ वर्जने  वृञ्ज् - वृजिँ वर्जने इत्येके  पृच् - पृचीँ सम्पर्चने सम्पर्के  सू  शी  यु - यु मिश्रेणेऽभिश्रणे च  रु - रु शब्दे  तु - तु गतिवृद्धिहिंसासु वृद्ध्यर्थः इति सौत्रो धातुः  नु  क्षु  क्ष्णु - क्ष्णु तेजने  स्नु - ष्णु प्रस्रवणे  ऊर्णु - ऊर्णुञ् आच्छादने  द्यु - द्यु अभिगमने  सु - षु प्रसवैश्वर्ययोः  कु - कु शब्दे  स्तु  ब्रू  इ - इण् गतौ  इ - इङ् अध्ययने नित्यमधिपूर्वः  इ - इक् स्मरणे अयमप्यधिपूर्वः  वी - वी गतिप्रजनकान्त्यसनखादनेषु  या  वा  भा  स्ना  श्रा  द्रा  प्सा - प्सा भक्षणे  पा - पा रक्षणे  रा - रा दाने  ला - ला आदाने दाने  दा - दाप् लवने  ख्या  प्रा - प्रा पूरणे  मा  वच्  विद्  अस्  मृज् - मृजूँ मृजूँश् शुद्धौ  रुद्  स्वप्  श्वस्  अन्  जक्ष् - जक्षँ भक्ष्यहसनयोः  जागृ  दरिद्रा  चकास् - चकासृँ दीप्तौ  शास् - शासुँ अनुशिष्टौ  दीधी - दीधीङ् दीप्तिदेवनयोः  वेवी - वेवीङ् वेतिना तुल्ये  सस् - षसँ स्वप्ने  संस्त् - षस्तिँ स्वप्ने  वश् - वशँ कान्तौ  ह्नु 
 
 
दिव्  सिव्  स्रिव् - स्रिवुँ गतिशोषणयोः  ष्ठिव् - ष्ठिवुँ निरसने केचिदिहेमं न पठन्ति  स्नुस् - ष्णुसुँ अदनेँ आदान इत्येकेँ अदर्शन इत्यपरे  स्नस् - ष्णसुँ निरसने  क्नस् - क्नसुँ ह्वरणदीप्त्योः मित् १९३९  व्युष् - व्युषँ विभागे  प्लुष् - प्लुषँ दाहे  नृत्  त्रस्  कुथ् - कुथँ पूतीभावे  पुथ् - पुथँ भाषार्थः  गुध् - गुधँ परिवेष्टने  क्षिप् - क्षिपँ प्रेरणे  पुष्प्  तिम् - तिमँ आर्द्रीभावे  तीम् - तीमँ आर्द्रीभावे  स्तिम् - ष्टिमँ आर्द्रीभावे  स्तीम् - ष्टीमँ आर्द्रीभावे  व्रीड् - व्रीडँ चोदने लज्जायां च  इष् - इषँ ईषँ गतौ  सह् - षहँ चक्यर्थे  सुह् - षुहँ चक्यर्थे  जॄ  झॄ - झॄष् वयोहानौ  सू - षूङ् प्राणिप्रसवे  दू  दी - दीङ् क्षये  डी - डीङ् विहायसा गतौ  धी - धीङ् आधारे  मी - मीङ् हिंसायाम्  री - रीङ् श्रवणे  ली  व्री - व्रीङ् वृणोत्यर्थेँ  पी - पीङ् पाने  मा - माङ् माने  ई - ईङ् गतौ  प्री - प्रीङ् प्रीतौ प्रीणने  शो - शो तनूकरणे  छो - छो छेदने  सो - षो अन्तकर्मणि  दो - दो अवखण्डने  जन्  दीप्  पूर् - पूरीँ आप्यायने  तूर् - तूरीँ गतित्वरणहिंसनयोः  धूर् - धूरी हिंसागत्योः  गूर् - गूरीँ हिंसागत्योः  घूर् - घूरीँ हिंसावयोहन्योः  जूर् - जूरीँ हिंसावयोहन्योः  शूर् - शूरीँ हिंसास्तम्भनयोः हिंसस्तम्भयोः  चूर् - चूरीँ दाहे  तप् - तपँ दाहे ऐश्वेर्ये वा  वृत् - वृतुँ वरणे वर्तने  वावृत् - वावृतुँ वरणे वर्तने इति केचित्  क्लिश् - क्लिशँ उपतापे  काश् - काशृँ दीप्तौ  वाश् - वाशृँ शब्दे  मृष् - मृषँ तितिक्षायाम्  शुच् - ईँशुचिँर् पूतीभावे  नह् - णहँ बन्धने  रञ्ज् - रञ्जँ रागे मित् १९४०  शप् - शपँ आक्रोशे  पद् - पदँ गतौ  खिद् - खिदँ दैन्ये  विद् - विदँ सत्तायाम्  बुध्  युध्  रुध् - रुधँ कामे नित्यमनुपूर्वः  अण् - अणँ प्राणने  अन् - अनँ प्राणने इत्येके  मन् - मनँ ज्ञाने  युज् - युजँ समाधौ  सृज् - सृजँ विसर्गे  लिश् - लिशँ अल्पीभावे  राध् - राधोँ अकर्मकाद्वृद्धावेव  व्यध् - व्यधँ ताडने  पुष् - पुषँ पुष्टौ  शुष्  तुष्  दुष्  श्लिष्  शक् - शकँ विभाषितो मर्षणे  स्विद्  क्रुध्  क्षुध्  शुध्  सिध्  रध् - रधँ हिंसासंराद्ध्योः  नश्  तृप्  दृप्  द्रुह्  मुह्  स्नुह् - ष्णुहँ उद्गिरणे  स्निह्  शम्  तम्  दम्  श्रम्  भ्रम् - भ्रमुँ अनवस्थाने  क्षम्  क्लम्  मद् - मदीँ हर्षे हर्षग्लेपनयोः मित् १९२७  अस् - असुँ क्षेपने  यस् - यसुँ प्रयत्ने  जस् - जसुँ मोक्षने  तस् - तसुँ उपक्षये  दस् - दसुँ च उपक्षये  वस् - वसुँ स्तम्भे  बस् - बसुँ स्तम्भे इत्येके  भस् - भसुँ स्तम्भे इति केचित्  व्युष् - व्युषँ दाहे  व्युस् - व्युसँ विभागे इत्येके  ब्युस् - ब्युसँ विभागे इत्यन्ये  बुस् - बुसँ विभागे इत्यपरे  वुस् - वुसँ विभागे इति केचित्  प्युष् - प्युषँ विभागे इति केचित्  प्युस् - प्युसँ विभागे इति केचित्  पुष् - पुषँ विभागे च इति केचित्  प्लुष् - प्लुषँ च दाहे  विस् - विसँ प्रेरणे  बिस् - बिसँ प्रेरणे इत्येके  कुस् - कुसँ संश्लेषणे श्लेषणे  कुश् - कुशँ संश्लेषणे श्लेषणे इत्येके  कुंस् - कुंसँ संश्लेषणे श्लेषणे इत्यन्ये  कुंश् - कुंशँ संश्लेषणे श्लेषणे इत्यपरे  बुस् - बुसँ उत्सर्गे  मुस् - मुसँ खण्डने  मस् - मसीँ परिमाने  सम् - समीँ परिमाने इत्येके  लुट् - लुटँ विलोडने  लुठ् - लुठँ विलोडने इत्येके  उच् - उचँ समवाये  भृश् - भृशुँ अधःपतने  भृंश् - भृंशुँ अधःपतने  भ्रंश्  वृश् - वृशँ वरणे  कृश् - कृशँ तनूकरणे  तृष्  हृष्  रुष्  रिष् - रिषँ हिंसायाम्  डिप् - डिपँ क्षेपे  कुप्  गुप् - गुपँ व्याकुलत्वे  युप् - युपँ विमोहने  रुप् - रुपँ विमोहने  लुप् - लुपँ विमोहने  स्तुप् - ष्टुपँ समुच्छ्राये  स्तूप् - ष्टूपँ समुच्छ्राये इत्येके  लुभ्  क्षुभ् - क्षुभँ सञ्चलने  नभ् - णभँ हिंसायाम्  तुभ् - तुभँ हिंसायाम्  क्लिद्  मिद् - ञिमिदाँ स्नेहने  क्ष्विद् - ञिक्ष्विदाँ स्नेहनमोचनयोः गात्रप्रस्रवणे  ऋध्  गृध् - गृधुँ अभिकाङ्क्षायाम् 
 
सु - षुञ् अभिषवे  सि - षिञ् बन्धने  शि - शिञ् निशाने  मि - डुमिञ् प्रक्षेपने  चि  स्तृ - स्तृञ् आच्छादने  कृ - कृञ् हिंसायाम्  वृ  धु  धू - धूञ् कम्पने इत्येके  दु  हि - हि गतौ वृद्धौ च  पृ - पृ प्रीतौ  स्पृ - स्पृ प्रीतिपालनयोः प्रीतिचलनयोरित्यन्ये  स्मृ - स्मृ प्रीतिपालनयोः प्रीतिचलनयोरित्यन्ये इत्येके  आप्  शक्  राध् - राधँ संसिद्धौ  साध्  अश् - अशूँ व्याप्तौ सङ्घाते च  स्तिघ् - ष्टिघँ आस्कन्दने  तिक् - तिकँ आस्कन्दने गतौ च  तिग् - तिगँ आस्कन्दने गतौ च  सघ् - षघँ हिंसायाम्  धृष् - ञिधृषाँ प्रागल्भ्ये  दम्भ् - दम्भुँ दम्भने दम्भे  ऋध् - ऋधुँ वृद्धौ  तृप् - तृपँ प्रीणन इत्येके  अह् - अहँ व्याप्तौ  दघ् - दघँ घातने पालने च  चम् - चमुँ भक्षणे न मित् १९५१  रि - रि ऋऽ हिंसायाम्  क्षि - क्षि क्षीऽ हिंसायाम् क्षिर्भाषायामित्येके  चिरि - चिरि हिंसायाम्  जिरि - जिरि हिंसायाम्  दाश् - दाशँ हिंसायाम्  दृ - दृ हिंसायाम् 
 
तुद्  नुद् - णुदँ प्रेरणे ६ २  दिश्  भ्रस्ज् - भ्रस्जँ पाके  क्षिप्  कृष् - कृषँ विलेखने  ऋष् - ऋषीँ गतौ  जुष् - जुषीँ प्रीतिसेवनयोः  विज् - ओँविजीँ भयचलनयोः  लज् - ओँलजीँ व्रीडायाम् व्रीडे  लस्ज् - ओँलस्जीँ व्रीडायाम् व्रीडे  व्रश्च्  व्यच् - व्यचँ व्याजीकरणे  उञ्छ् - उछिँ उञ्छे  उच्छ् - उछीँ विवासे  ऋच्छ् - ऋछँ गतीन्द्रियप्रलयमूर्तिभावेषु  मिच्छ् - मिछँ उत्क्लेशे  जर्ज् - जर्जँ परिभाषणभर्त्सनयोः  चर्च् - चर्चँ परिभाषणभर्त्सनयोः  झर्झ् - झर्झँ परिभाषणभर्त्सनयोः  त्वच् - त्वचँ संवरणे  ऋच् - ऋचँ स्तुतौ  उब्ज् - उब्जँ आर्जवे  उज्झ् - उज्झँ उत्सर्गे  लुभ् - लुभँ विमोहने  रिफ् - रिफँ कत्थनयुद्धनिन्दाहिंसादानेषु  रिह् - रिहँ कत्थनयुद्धनिन्दाहिंसादानेषु इत्येके  तृप् - तृपँ तृप्तौ  तृम्प् - तृम्पँ तृप्तौ  तृफ् - तृफँ तृप्तौ इत्येके  तृम्फ् - तृम्फँ तृप्तौ इत्येके  तुप् - तुपँ हिंसायाम्  तुम्प् - तुम्पँ हिंसायाम्  तुफ् - तुफँ हिंसायाम्  तुम्फ् - तुम्फँ हिंसायाम्  दृप् - दृपँ उत्क्लेशे  दृम्प् - दृम्पँ उत्क्लेशे  दृफ् - दृफँ उत्क्लेशे इत्येके  दृम्फ् - दृम्फँ उत्क्लेशे इत्येके  ऋफ् - ऋफँ हिंसायाम्  ऋम्फ् - ऋम्फँ हिंसायाम्  गुफ् - गुफँ ग्रन्थे  गुम्फ्  उभ् - उभँ पूरणे  उम्भ् - उम्भँ पूरणे  शुभ् - शुभँ शोभार्थे  शुम्भ् - शुम्भँ शोभार्थे  दृभ् - दृभीँ ग्रन्थे  चृत् - चृतीँ हिंसाग्रन्थनयोः  विध् - विधँ विधाने  जुड् - जुडँ गतौ  जुन् - जुनँ गतौ इत्येके  मृड् - मृडँ सुखने  पृड् - पृडँ सुखने च  पृण् - पृणँ प्रीणने  वृण् - वृणँ च प्रीणने  मृण् - मृणँ हिंसायाम्  तुण् - तुणँ कौटिल्ये  पुण् - पुणँ कर्मणि शुभे  मुण् - मुणँ प्रतिज्ञाने  कुण् - कुणँ शब्दोपकरणयोः शब्दोपतापयोः  शुन् - शुनँ गतौ  द्रुण् - द्रुणँ हिंसागतिकौटिल्येषु  घुण् - घुणँ भ्रमणे  घूर्ण् - घूर्णँ भ्रमणे  सुर् - षुरँ ऐश्वर्यदीप्त्योः  कुर् - कुरँ शब्दे  खुर् - खुरँ छेदने  मुर् - मुरँ संवेष्टने सञ्चेष्टने  क्षुर् - क्षुरँ विलेखने  घुर् - घुरँ भीमार्थशब्दयोः  पुर् - पुरँ अग्रगमने  वृह् - वृहूँ उद्यमने  बृह् - बृहूँ उद्यमने इत्येके  तृह् - तृहूँ हिंसार्थः  स्तृह् - स्तृहूँ हिंसार्थः  तृंह् - तृंहूँ हिंसार्थाः  इष्  मिष् - मिषँ स्पर्धायाम्  किल् - किलँ श्वैत्यक्रीडनयोः श्वैत्ये  तिल् - तिलँ स्नेहने स्नेहे  चिल् - चिलँ वसने  चल् - चलँ विलसने  इल् - इलँ स्वप्नक्षेपनयोः  विल् - विलँ संवरणे  बिल् - बिलँ भेदने  निल् - णिलँ गहने  हिल् - हिलँ भावकरणे  शिल् - शिलँ उञ्छे  सिल् - षिलँ उञ्छे  मिल् - मिलँ श्लेषणे  लिख्  कुट् - कुटँ कौटिल्ये  पुट् - पुटँ संश्लेषणे  कुच् - कुचँ सङ्कोचने  गुज् - गुजँ शब्दे  गुड् - गुडँ रक्षायाम्  डिप् - डिपँ क्षेपे  छुर् - छुरँ छेदने  स्फुट्  मुट् - मुटँ आक्षेपप्रमर्दनयोः  त्रुट् - त्रुटँ छेदने  तुट् - तुटँ कलहकर्मणि  चुट् - चुटँ छेदने  छुट् - छुटँ छेदने  जुड् - जुडँ बन्धने  जुट् - जुटँ बन्धने इत्येके  कड् - कडँ मदे  लुट् - लुटँ संश्लेषणे  लुठ् - लुठँ संश्लेषणे इत्येके  लुड् - लुडँ संश्लेषणे इत्यन्ये  कृड् - कृडँ घनत्वे  कुड् - कुडँ बाल्ये  पुड् - पुडँ उत्सर्गे  घुट् - घुटँ प्रतिघाते  तुड्  थुड् - थुडँ संवरणे  स्थुड् - स्थुडँ संवरणे  खुड् - खुडँ संवरणे इत्येके  छुड् - छुडँ संवरणे इत्येके  स्फुर्  स्फुल् - स्फुलँ सञ्चलने  स्फर् - स्फरँ सञ्चलने इत्यन्ये  स्फल् - स्फलँ सञ्चलने इत्यन्ये  स्फुड् - स्फुडँ संवरणे  चुड् - चुडँ संवरणे  व्रुड् - व्रुडँ संवरणे  क्रुड् - क्रुडँ निमज्जने इत्येके  भृड् - भृडँ निमज्जने इत्येके  हुड् - हुडँ सङ्घाते  गुर् - गुरीँ उद्यमने  नू - णू स्तुतौ  धू - धू विधूनने  गु - गु पुरीषोत्सर्गे  ध्रु - ध्रु गतिस्थैर्ययोः ध्रुव इत्येके  कु - कुङ् शब्दे  कू - कूङ् शब्दे इत्येके  पृ - पृङ् व्यायामे  मृ  रि - रि गतौ  पि - पि गतौ  धि - धि धारणे  क्षि - क्षि निवासगत्योः  सू - षू प्रेरणे  कॄ  गॄ  दृ - दृङ् आदरे  धृ - धृङ् अवस्थाने  प्रच्छ्  सृज्  मज्ज् - टुमस्जोँ शुद्धौ  रुज् - रुजोँ भङ्गे  भुज् - भुजोँ कौटिल्ये  छुप् - छुपँ स्पर्शे  रुश् - रुशँ हिंसायाम्  रिश् - रिशँ हिंसायाम्  लिश् - लिशँ गतौ  स्पृश्  विच्छ् - विछँ गतौ  विश्  मृश् - मृशँ आमर्शणे  नुद्  सद् - षदॢँ विशरणगत्यवसादनेषु  शद् - शदॢँ शातने  मिल्  मुच्  लुप् - लुपॢँ छेदने  विद् - विदॢँ लाभे  लिप् - लिपँ उपदेहे  सिच् - षिचँ क्षरणे  कृत् - कृतीँ छेदने  खिद् - खिदँ परिघाते परिघातने  पिश् - पिशँ अवयवे अयं दीपनायामपि 
 
 
 
क्री  प्री  श्री - श्रीञ् पाके  मी - मीञ् हिंसायाम् बन्धने माने  सि - षिञ् बन्धने  स्कु - स्कुञ् आप्रवने  स्तम्भ् - स्तम्भुँ रोधन इत्येके स्तम्भ इति माधवः  स्तुम्भ् - स्तुम्भुँ रोधन इत्येके निष्कोषणे इत्यन्ये  स्कम्भ् - स्कम्भुँ रोधन इत्येके स्तम्भ इति माधवः  स्कुम्भ् - स्कुम्भुँ रोधन इत्येके धारण इत्यन्ये  यु - युञ् बन्धने  क्नू - क्नूञ् शब्दे  द्रू - द्रूञ् हिंसायाम्  पू  मू - मूञ् बन्धने  लू  स्तॄ - स्तॄञ् आच्छादने  कॄ - कॄञ् हिंसायाम्  वॄ - वॄञ् वरणे  धू - धूञ् कम्पने  शॄ - शॄ हिंसायाम्  पॄ - पॄ पालनपूरणयोः  वॄ - वॄ वरणे भरण इत्येके  भॄ - भॄ भर्त्सने भरनेऽप्येके  मॄ - मॄ हिंसायाम्  दॄ - दॄ विदारणे  जॄ - जॄ वयोहानौ मित् १९३८  झॄ - झॄ वयोहानौ इत्येके  धॄ - धॄ वयोहानौ इत्यन्ये  नॄ - नॄ नये  कॄ - कॄ हिंसायाम्  ॠ - ॠ गतौ  गॄ - गॄ शब्दे  ज्या - ज्या वयोहानौ  री - री गतिरेषणयोः  ली - ली श्लेषणे  व्ली - व्ली वरणे  ब्ली - ब्ली वरणे इत्येके  प्ली - प्ली गतौ  व्री - व्री वरणे  भ्री - भ्री भये भरण इत्येके  क्षी - क्षीष् हिंसायाम्  ज्ञा  बन्ध्  वृ - वृङ् सम्भक्तौ  श्रन्थ् - श्रन्थँ विमोचनप्रतिहर्षयोः  मन्थ्  श्रन्थ् - श्रन्थँ सन्दर्भे  ग्रन्थ्  कुन्थ् - कुन्थँ संश्लेषणे  मृद्  मृड् - मृडँ क्षोदे सुखे च  गुध् - गुधँ रोषे  कुष् - कुषँ निष्कर्षे  क्षुभ् - क्षुभँ सञ्चलने  नभ् - णभँ हिंसायाम्  तुभ् - तुभँ हिंसायाम्  क्लिश् - क्लिशूँ विबाधने  अश्  ध्रस् - उँध्रसँ उञ्छे  इष् - इषँ आभीक्ष्ण्ये  विष् - विषँ विप्रयोगे  प्रुष् - प्रुषँ स्नेहनसेवनपूरणेषु  प्लुष् - प्लुषँ स्नेहनसेवनपूरणेषु  पुष् - पुषँ पुष्टौ  मुष्  खच् - खचँ भूतप्रादुर्भावे  खव् - खवँ भूतप्रादुर्भावे इत्येके  हेठ् - हेठँ हेढँ च भूतप्रादुर्भावे  हेढ् - हेढँ च भूतप्रादुर्भावे इत्येके  ग्रह् 
 
चुर्  चिन्त्  यन्त्र्  स्फुण्ड् - स्फुडिँ परिहासे  स्फुण्ट् - स्फुटिँ इत्यपि परिहासे  लक्ष्  कुन्द्र् - कुद्रिँ अनृतभाषणे  कुद् - कुदृँ अनृतभाषणे इत्येके  कुण्ड् - कुडिँ रक्षणे  लड् - लडँ उपसेवायाम्  मिन्द् - मिदिँ स्नेहने  मिद् - मिदँ स्नेहने इत्येके  लण्ड् - ओँलडिँ ओलडिँ उत्क्षेपने उँलडिँ इत्यन्ये  लण्ड् - ओँलडिँ उत्क्षेपने इत्येके  जल् - जलँ अपवारणे  लज् - लजँ अपवारणे इत्येके  पीड्  नट् - नटँ अवस्यन्दने  श्रथ् - श्रथ प्रयत्ने प्रस्थान इत्येके  बध् - बधँ संयमने  बन्ध् - बन्धँ संयमने इति चान्द्राः  पॄ  ऊर्ज् - ऊर्जँ बलप्राणनयोः  पक्ष् - पक्षँ परिग्रहे  वर्ण् - वर्णँ प्रेरणे वर्णँ वर्णन इत्येके  चूर्ण् - चूर्णँ सङ्कोचने  प्रथ् - प्रथँ प्रख्याने  पृथ् - पृथँ प्रक्षेपे  पथ् - पथँ प्रक्षेपे इत्येके  सम्ब् - षम्बँ सम्बन्धने  शम्ब् - शम्बँ सम्बन्धने च  साम्ब् - साम्बँ सम्बन्धने इत्येके  भक्ष्  कुट्ट् - कुट्टँ छेदनभर्त्सनयोः  पुट्ट् - पुट्टँ अल्पीभावे  चुट्ट् - चुट्टँ अल्पीभावे  अट्ट् - अट्टँ अनादरे  सुट्ट् - षुट्टँ अनादरे  लुण्ट् - लुण्टँ स्तेये  लुण्ठ् - लुण्ठँ स्तेये इति केचित्  शठ् - शठँ असंस्कारगत्योः  श्वठ् - श्वठँ असंस्कारगत्योः  श्वण्ठ् - श्वठिँ असंस्कारगत्योः इत्येके  तुज् - तुजँ हिंसाबलादाननिकेतनेषु  तुञ्ज् - तुजिँ हिंसाबलादाननिकेतनेषु  पिज् - पिजँ हिंसाबलादाननिकेतनेषु  पिञ्ज् - पिजिँ भाषार्थः  लन्ज् - लजि हिंसाबलादाननिकेतनेषु  लुञ्ज् - लुजिँ भाषार्थः  पिस् - पिसँ गतौ  सान्त्व्  शान्त्व् - शान्त्वँ सामप्रयोगे इत्येके  श्वल्क् - श्वल्कँ परिभाषणे  वल्क् - वल्कँ परिभाषणे  स्निह् - ष्णिहँ स्नेहने  स्फिट्ट् - स्फिट्टँ हिंसायाम्  स्मिट् - स्मिटँ अनादरे  स्मि - ष्मिङ् अनादरे इत्येके  श्लिष् - श्लिषँ श्लेषणे  पन्थ् - पथिँ गतौ  पिच्छ् - पिछँ कुट्टने  छन्द् - छदिँ संवरणे  श्रण् - श्रणँ दाने  तड्  खड् - खडँ खण्डने भेदने  खण्ड्  कण्ड् - कडिँ खण्डने भेदने  कुण्ड् - कुडिँ अनृतभाषणे इत्यपरे  गुण्ड् - गुडिँ रक्षणे वेष्टने च रक्षण इत्येके  कुण्ठ् - कुठिँ रक्षणे वेष्टने च रक्षण इत्येके इत्यन्ये  गुण्ठ् - गुठिँ रक्षणे वेष्टने च रक्षण इत्येके इत्यपरे  खुण्ड् - खुडिँ खण्डने  वण्ट् - वटिँ विभाजने  वण्ड् - वडिँ विभाजने इत्येके  चण्ड् - चडिँ कोपे चण्ड इत्यन्ये  चण्ड् - चण्डँ कोपे  मण्ड् - मडिँ भूषायां हर्षे च  भण्ड् - भडिँ कल्याणे  छर्द् - छर्द वमने  पुस्त् - पुस्तँ आदरानादरयोः  बुस्त् - बुस्तँ आदरानादरयोः  चुद्  नक्क् - नक्कँ नाशने  धक्क् - धक्कँ नाशने  चक्क् - चक्कँ व्यथने  चुक्क् - चुक्कँ व्यथने  क्षल्  तल् - तलँ प्रतिष्ठायाम्  तुल्  दुल्  पुल् - पुलँ महत्त्वे  चुल् - चुलँ समुच्छ्राये  मूल् - मूलँ रोहने  कल् - कल क्षेपे  विल् - विलँ क्षेपे  बिल् - बिलँ भेदने  तिल् - तिलँ स्नेहने  चल् - चलँ भृतौ  पाल्  पल् - पलँ रक्षणे इत्येके  लूष् - लूषँ हिंसायाम्  शुल्ब् - शुल्बँ माने  शूर्प् - शूर्पँ च माने  चुट् - चुटँ छेदने  मुट् - मुटँ सञ्चूर्णने  पिश् - पिशँ नाशने  पण्ड् - पडिँ नाशने  पंस् - पसिँ नाशने  पश् - पशिँ नाशने इत्येके  व्रज् - व्रजँ मार्गसंस्कारगत्योः  शुल्क् - शुल्कँ अतिसर्जने अतिस्पर्शने  चम्प् - चपिँ गत्याम्  क्षम्प् - क्षपिँ क्षान्त्याम्  क्षञ्ज् - क्षजिँ कृच्छ्रजीवने  छञ्ज् - छजिँ कृच्छ्रजीवने इत्येके  श्वर्त् - श्वर्तँ गत्याम्  स्वर्त् - स्वर्तँ गत्याम् इत्येके  श्वभ्र् - श्वभ्रँ गत्याम् च  ज्ञप् - ज्ञपँ ज्ञपँ ज्ञानज्ञापनमारणतोषणनिशाननिशामनेषु  यम् - यमँ परिवेषणे मित् १९५३  चह् - चहँ परिकल्पने  चप् - चपँ परिकल्पने इत्येके  रह् - रहँ त्यागे  बल् - बलँ प्राणने  चि - चिञ् चयने  घट्ट् - घट्टँ चलने  मुस्त् - मुस्तँ सङ्घाते  खट्ट् - खट्टँ संवरणे  सट्ट् - षट्टँ हिंसायाम्  स्फिट् - स्फिटँ स्नेहने इत्येके  चुम्ब् - चुबिँ हिंसायाम्  पूल् - पूलँ सङ्घाते  पूर्ण् - पूर्णँ सङ्घाते इत्येके  पुण् - पुणँ सङ्घाते इत्यन्ये  पुंस् - पुंसँ अभिवर्धणे  टङ्क् - टकिँ बन्धने  व्यप् - व्यपँ क्षेपे  व्यय् - व्ययँ क्षेपे चत्येके  विप् - विपँ क्षेपे चेत्येके  धूस् - धूसँ कान्तिकरणे  धूष् - धूषँ कान्तिकरणे इत्येके  धूश् - धूशँ कान्तिकरणे इत्यपरे  कीट् - कीटँ वर्णे वरणे  चूर्ण्  पूज्  अर्क् - अर्कँ स्तवने  शुठ् - शुठँ आलस्ये  शुण्ठ् - शुठिँ शोषणे  जुड् - जुडँ प्रेरणे  गज् - गजँ शब्दार्थः  मार्ज् - मार्जँ शब्दार्थौ  मर्च् - मर्चँ शब्दार्थः च  घृ - घृ प्रस्रवणे स्रावण इत्येके  पञ्च् - पचिँ विस्तारवचने  तिज्  कॄत्  वर्ध् - वर्धँ छेदनपूरनयोः  कुम्ब् - कुबिँ आच्छादने छादने  कुम्भ् - कुभिँ आच्छादने छादने इत्येके  लुम्ब् - लुबिँ अदर्शने अर्दन इत्येके  तुम्ब् - तुबिँ अदर्शने अर्दन इत्येके  ह्लप् - ह्लपँ व्यक्तायां वाचि  क्लप् - क्लपँ व्यक्तायां वाचि इत्येके  ह्रप् - ह्रपँ व्यक्तायां वाचि इत्यन्ये  चुण्ट् - चुटिँ छेदने  मृण्ड् - मृडिँ प्रेरणे  तुण्ड् - तुडिँ प्रेरणे  इल् - इलँ प्रेरणे  म्रक्ष् - म्रक्षँ छेदने  म्रच्छ् - म्रछँ म्लेच्छने इत्येके  म्लेच्छ् - म्लेछँ छेदने म्लेछँ अव्यक्तायां वाचि  म्रक्ष् - म्रक्षँ म्लेच्छने  ब्रूस् - ब्रूसँ हिंसायाम्  बर्ह् - बर्हँ हिंसायाम्  व्रूस् - व्रूसँ हिंसायाम् इत्येके  वर्ह् - बर्हँ भाषार्थः  व्रूष् - व्रूषँ हिंसायाम् इत्यन्ये  गर्ज् - गर्जँ शब्दे  गर्द् - गर्दँ शब्दे  गर्ध् - गर्धँ अभिकाङ्क्षायाम्  गूर्द् - गुर्दँ पूर्वनिकेतने निकेतने इत्यन्ये  पूर्व् - पूर्वँ निकेतने इत्यन्ये  जंस् - जसिँ रक्षणे मोक्षण इत्येके  ईड् - ईडँ स्तुतौ  जस् - जसुँ हिंसायाम्  पिण्ड् - पिडिँ सङ्घाते  पिण्ठ् - पिठिँ सङ्घाते इत्येके  रुष् - रुषँ रोषे  रुट् - रुटँ रोषे इत्येके  डिप् - डिपँ क्षेपे  स्तुप् - ष्टुपँ ष्टूपँ समुच्छ्राये  स्तूप् - ष्टूपँ समुच्छ्राये इत्येके  चित् - चितँ सञ्चेतने  दंश् - दशिँ दंशने दर्शनदंशनयोः  दंस् - दसिँ दर्शनदंशनयोः  दस् - दसँ दर्शनदंशनयोः इत्यप्येके  डप् - डपँ सङ्घाते  डिप् - डिपँ सङ्घाते  तन्त्र् - तत्रिँ कुटुम्बधारणे  मन्त्र्  स्पश् - स्पशँ ग्रहणसंश्लेषणयोः  तर्ज्  भर्त्स्  बस्त् - बस्तँ अर्दने  गन्ध् - गन्धँ अर्दने  वस्त् - वस्तँ अर्दने इत्येके  हस्त् - हस्तँ अर्दने इत्यन्ये  विष्क् - विष्कँ हिंसायाम्  हिष्क् - हिष्कँ हिंसायाम् इत्येके  निष्क् - निष्कँ परिमाणे  लल्  कूण् - कूणँ सङ्कोचने  तूण् - तूणँ पूरणे  भ्रूण् - भ्रूणँ आशाविशङ्कयोः आशायाम्  शठ् - शठँ श्लाघायाम्  यक्ष् - यक्षँ पूजायाम्  स्यम् - स्यमँ वितर्के  गूर् - गूरँ उद्यमने  शम् - शमँ आलोचने शमो दर्शने न मित् १९५२  लक्ष् - लक्षँ आलोचने  कुत्स् - कुत्सँ अवक्षेपने  त्रुट्  कुट् - कुटँ छेदने इत्येके  गल् - गलँ स्रवणे  भल् - भलँ आभण्डने  कूट् - कूटँ अप्रदाने अवसादन इत्येके  कुट्ट् - कुट्टँ प्रतापने  वञ्च्  वृष् - वृषँ शक्तिबन्धने  मद् - मदँ तृप्तियोगे  दिव् - दिवुँ परिकूजने  गॄ - गॄ विज्ञाने  विद् - विदँ चेतनाख्याननिवासेषु  मन् - मानँ स्तम्भे  मान् - मानँ स्तम्भे इत्येके  यु - यु जुगुप्सायाम्  कुस्म् - कुस्मँ नाम्नो वा कुत्सिस्मयने  चर्च् - चर्चँ अध्ययने  बुक्क् - बुक्कँ भाषणे  शब्द् - शब्दँ भाषणे शब्दक्रियायाम् उपसर्गादाविष्कारे च  कण् - कणँ निमीलने  जम्भ् - जभिँ नाशने  सूद् - षूदँ क्षरणे  जस् - जसुँ ताडने  पश् - पशँ बन्धने  अम् - अमँ रोगे न मित् १९५०  चट् - चटँ भेदने  स्फुट् - स्फुटँ भेदने  घट् - घटँ सङ्घाते हन्त्यर्थाश्च  दिव् - दिवुँ मर्दने  अर्ज् - अर्जँ प्रतियत्ने सम्पादने च  घुष्  क्रन्द् - क्रन्दँ सातत्ये नित्यमाङ्पूर्वः  लस् - लसँ शिल्पयोगे  तंस् - तसिँ अलङ्कारे  भूष्  मोक्ष् - मोक्षँ आसने असने  अर्ह् - अर्हँ पूजायाम् १० २५७  ज्ञा - ज्ञा नियोगे  भज् - भजँ विश्राणने  शृध् - शृधुँ प्रसहने  यत् - यतँ निकारोपस्कारयोः  रक् - रकँ आस्वादने  लग् - लगँ आस्वादने  रघ् - रघँ आस्वादने इत्येके  रग् - रगँ आस्वादने इत्यन्ये  अञ्च् - अञ्चुँ विशेषणे  लिङ्ग् - लिगिँ चित्रीकरणे  मुद् - मुदँ संसर्गे  त्रस् - त्रसँ धारणे ग्रहण इत्येके वारण इत्यन्ये धारणग्रहणवारणेषु  ध्रस् - उँध्रसँ उघ्रसँ उञ्छे  उध्रस् - उध्रसँ उञ्छे  मुच् - मुचँ प्रमोचने मोदने च प्रमोचनमोदनयोः  वस् - वस स्नेहच्छेदापहरणेषु  चर् - चरँ संशये  च्यु - च्यु हसने सहने चेत्येके  व्युस् - व्युसँ हसने सहने चेत्येके इत्येके  भू - भू प्राप्तौ  कृप् - कृपँ अवकल्कने मिश्रीकरण इत्येके चिन्तन इत्यन्ये  ग्रस् - ग्रसँ ग्रहणे  पुष् - पुषँ धारणे  दल् - दलँ विदारणे मित् इति भोजः १९२९  पट् - पटँ भाषार्थः  पुट् - पुटँ भाषार्थः  लुट् - लुटँ भाषार्थः  तुञ्ज् - तुजिँ भाषार्थः  मिञ्ज् - मिजिँ भाषार्थः  पिञ्ज् - पिजिँ हिंसाबलादाननिकेतनेषु  लिञ्ज् - लिजिँ भाषार्थः  लुञ्ज् - लुजिँ हिंसाबलादाननिकेतनेषु  भञ्ज् - भजिँ भाषार्थः  लङ्घ् - लघिँ भाषार्थः च  त्रंस् - त्रसिँ भाषार्थः  पिंस् - पिसिँ भाषार्थः  कुंस् - कुसिँ भाषार्थः  दंश् - दशिँ भाषार्थः  कुंश् - कुशिँ भाषार्थः  घट् - घटँ भाषार्थः  घण्ट् - घटिँ भाषार्थः  बृंह् - बृहिँ भाषार्थः  बर्ह् - बर्हँ भाषार्थः  बल्ह् - बल्हँ भाषार्थः  गुप् - गुपँ भाषार्थः  धूप् - धूपँ भाषार्थः  विच्छ् - विछँ भाषार्थः  चीव् - चीवँ भाषार्थः  पुथ् - पुथँ हिंसायाम्  लोक् - लोकृँ भाषार्थः  लोच् - लोचृँ भाषार्थः  नड् - णडँ भाषार्थः  कुप् - कुपँ भाषार्थः  तर्क् - तर्कँ भाषार्थः  वृत् - वृतुँ भाषार्थः  वृध् - वृधुँ भाषार्थाः  रुट् - रुटँ भाषार्थः च  लञ्ज् - लजिँ भाषार्थः च  अञ्ज् - अजिँ भाषार्थः च  दंस् - दसिँ भाषार्थः च  भृंश् - भृशिँ भाषार्थः च  रुंश् - रुशिँ भाषार्थः च  शीक् - शीकँ आमर्षणे  रुंस् - रुसिँ भाषार्थः च  नट् - नटँ भाषार्थः च  पुण्ट् - पुटिँ भाषार्थः च  जि - जि भाषार्थः च  चि - चि भाषार्थः च  रङ्घ् - रघिँ भाषार्थः च  लङ्घ् - लघिँ भाषार्थः  अंह् - अहिँ भाषार्थः च  रंह् - रहिँ भाषार्थः च  मंह् - महिँ भाषार्थः च  लण्ड् - लडिँ भाषार्थः च  तड् - तडँ भाषार्थः च  नल् - नलँ भाषार्थः च  पूर् - पूरीँ आप्यायने  रुज् - रुजँ हिंसायाम्  स्वद् - ष्वदँ आस्वादने  स्वाद् - स्वादँ आस्वादने इत्येके  युज् - युजँ संयमने  पृच् - पृचँ संयमने  अर्च् - अर्चँ पूजायाम्  सह् - षहँ मर्षणे  ईर् - ईरँ क्षेपे  ली - ली द्रवीकरणे  वृज्  वृ - वृञ् आवरणे  जॄ - जॄ वयोहानौ  ज्रि - ज्रि वयोहानौ च  रिच् - रिचँ वियोजनसम्पर्चनयोः  शिष् - शिषँ असर्वोपयोगे  तप् - तपँ दाहे  तृप् - तृपँ तृप्तौ सन्दीपन इत्येके  छृद् - छृदीँ सन्दीपने  चृप् - चृपँ सन्दीपने इत्येके  छृप् - छृपँ सन्दीपने इत्येके  तृप् - तृपँ सन्दीपने इत्येके  दृप् - दृपँ सन्दीपने इत्येके  दृभ् - दृभीँ भये ग्रन्थे  दृभ् - दृभँ सन्दर्भे  छद्  श्रथ् - श्रथँ मोक्षणे हिंसायामित्येके  मी - मी गतौ  ग्रन्थ् - ग्रन्थँ बन्धने  शीक् - शीकँ भाषार्थः च  चीक् - चीकँ आमर्षणे च  अर्द् - अर्दँ हिंसायाम्  हिंस् - हिसिँ हिंसायाम्  अर्ह् - अर्हँ पूजायाम् १० ३६७  सद् - षदँ पद्यर्थे नित्यमाङ्पूर्वः  शुन्ध् - शुन्धँ शौचकर्मणि  छद् - छदँ संवरणे छदिर् ऊर्जने मित् १९२५  जुष् - जुषँ परितर्कने परितर्पण इत्यन्ये  धू - धूञ् कम्पने  प्री - प्रीञ् तर्पने  श्रन्थ् - श्रन्थँ सन्दर्भे  ग्रन्थ् - ग्रन्थँ सन्दर्भे  आप् - आपॢँ लम्भने  तन् - तनुँ श्रद्धोपकरणयोः उपसर्गाच्च दैर्घ्ये  चन् - चनँ श्रद्धोपहननयोरित्येके  वद् - वदँ सन्देशवचने  वच् - वचँ परिभाषणे  मान् - मानँ पूजायाम्  भू - भू अवकल्कने मिश्रीकरण इत्येके चिन्तन इत्यन्ये  गर्ह् - गर्हँ विनिन्दने  मार्ग्  कण्ठ् - कठिँ शोके प्रायेणोत्पूर्व उत्कण्ठावचनः  मृज् - मृजूँ शौचालङ्कारयोः  मृष् - मृषँ तितिक्षायाम्  धृष् - धृषँ प्रसहने  कथ  वर  गण  शठ - शठ सम्यगवभाषणे  श्वठ - श्वठ सम्यगवभाषणे  पट - पट ग्रन्थे  वट - वट ग्रन्थे  रह  रङ्ग् - रङ्गँ गतौ  स्तन - स्तन देवशब्दे  गद - गद देवशब्दे  पत - पत देवशब्दे गतौ वा वादन्त इत्येके  पष - पष अनुपसर्गात् गतौ  स्वर - स्वर आक्षेपे  रच  कल  चह - चह परिकल्कने  मह - मह पूजायाम्  सार - सार दौर्बल्ये  कृप - कृप दौर्बल्ये  श्रथ - श्रथ दौर्बल्ये  स्पृह  भाम - भाम क्रोधे  सूच  खेट - खेट भक्षणे  खेड् - खेडँ भक्षणे इत्येके  खोट - खोट भक्षणे इत्यन्ये  क्षोट - क्षोट क्षेपे  गोम - गोम उपलेपने  कुमार - कुमार क्रीडायाम्  शील - शील उपधारणे  साम - साम सान्त्वप्रयोगे  वेल - वेल कालोपदेशे  काल - काल कालोपदेशे च इति पृथग्धातुरित्येके  पल्यूल - पल्यूल लवनपवनयोः  वात - वात सुखसेवनयोः  गवेष  वास - वास उपसेवायाम्  निवास - निवास आच्छादने  भाज - भाज पृथक्कर्मणि  सभाज  ऊन - ऊन परिहाणे  ध्वन - ध्वन शब्दे  कूट - कूट परितापे परिदाह इत्यन्ये  सङ्केत् - सङ्केतँ आमन्त्रणे  ग्राम - ग्राम आमन्त्रणे  कुण - कुण आमन्त्रणे  गुण - गुण चामन्त्रणे  केत - केत श्रावणे निमन्त्रणे च  कूण् - कूणँ श्रावणे निमन्त्रणे च सङ्कोचनेऽपि  स्तेन - स्तेन चौर्ये  पद - पद गतौ  गृह - गृह ग्रहणे  मृग - मृग अन्वेषणे  कुह - कुह विस्मापने  शूर - शूर विक्रान्तौ  वीर - वीर विक्रान्तौ  स्थूल - स्थूल परिबृंहणे  अर्थ  सत्र - सत्र सन्तानक्रियायाम्  गर्व - गर्व माने  सूत्र  मूत्र  रूक्ष - रूक्ष पारुष्ये  पार  तीर - तीर कर्मसमाप्तौ  पुट - पुट संसर्गे  कत्र - कत्र शैथिल्ये  कर्त् - कर्तँ इत्यप्येके  बष्क् - बष्कँ दर्शने  चित्र  अंस - अंस समाघाते  वट - वट विभाजने  रट् - रटँ परिभाषणे  लज - लज प्रकाशने  वण्ट् - वटिँ प्रकाशने इत्येके  लन्ज् - लजि प्रकाशने इत्येके  मिश्र - मिश्र सम्पर्के  सङ्ग्राम - सङ्ग्राम युद्धे अयमनुदात्तेत्  स्तोम् - स्तोमँ श्लाघायाम्  छिद्र - छिद्र कर्णभेदने करणभेदन इत्येके  कर्ण् - कर्णँ भेदने इति धात्वन्तरमित्यपरे  अन्ध - अन्ध दृष्ट्युपघाते उपसंहार इत्यन्ये  दण्ड  अङ्क - अङ्क पदे लक्षणे च  अङ्ग - अङ्ग पदे लक्षणे च  सुख  दुःख  रस - रस आस्वादनस्नेहनयोः  व्यय - व्यय वित्तसमुत्सर्गे  रूप  छेद - छेद द्वैधीकरणे  छद - छद अपवारणे  लाभ - लाभ प्रेरणे  व्रण - व्रण गात्रविचूर्णने  वर्ण  पर्ण - पर्ण हरितभावे  विष्क - विष्क दर्शने  क्षप् - क्षपँ प्रेरणे  वस - वस निवासे  तुत्थ - तुत्थ आवरणे