কৃদন্ত - अभि + श्लोक् + यङ् + णिच् + सन् - श्लोकृँ सङ्घाते - भ्वादिः - सेट्


 
কৃত প্রত্যয়
কৃদন্ত
ल्युट्
अभिशोश्लोक्ययिषणम्
अनीयर्
अभिशोश्लोक्ययिषणीयः - अभिशोश्लोक्ययिषणीया
ण्वुल्
अभिशोश्लोक्ययिषकः - अभिशोश्लोक्ययिषिका
तुमुँन्
अभिशोश्लोक्ययिषितुम्
तव्य
अभिशोश्लोक्ययिषितव्यः - अभिशोश्लोक्ययिषितव्या
तृच्
अभिशोश्लोक्ययिषिता - अभिशोश्लोक्ययिषित्री
ल्यप्
अभिशोश्लोक्ययिष्य
क्तवतुँ
अभिशोश्लोक्ययिषितवान् - अभिशोश्लोक्ययिषितवती
क्त
अभिशोश्लोक्ययिषितः - अभिशोश्लोक्ययिषिता
शतृँ
अभिशोश्लोक्ययिषन् - अभिशोश्लोक्ययिषन्ती
शानच्
अभिशोश्लोक्ययिषमाणः - अभिशोश्लोक्ययिषमाणा
यत्
अभिशोश्लोक्ययिष्यः - अभिशोश्लोक्ययिष्या
अच्
अभिशोश्लोक्ययिषः - अभिशोश्लोक्ययिषा
घञ्
अभिशोश्लोक्ययिषः
अभिशोश्लोक्ययिषा


সনাদি প্রত্যয়

উপসর্গ