परि + स्पृश् ધાતુ રૂપ - કર્મણિ પ્રયોગ લુટ્ લકાર આત્મને પદ

स्पृशँ संस्पर्शने - तुदादिः

 
 
એકવચન
દ્વિ વચન
બહુવચન
પ્રથમ પુરુષ
મધ્યમ પુરુષ
ઉત્તમ પુરુષ
 
એક.
દ્વિ
બહુ.
પ્રથમ
परिस्प्रष्टा / परिस्पर्ष्टा
परिस्प्रष्टारौ / परिस्पर्ष्टारौ
परिस्प्रष्टारः / परिस्पर्ष्टारः
મધ્યમ
परिस्प्रष्टासे / परिस्पर्ष्टासे
परिस्प्रष्टासाथे / परिस्पर्ष्टासाथे
परिस्प्रष्टाध्वे / परिस्पर्ष्टाध्वे
ઉત્તમ
परिस्प्रष्टाहे / परिस्पर्ष्टाहे
परिस्प्रष्टास्वहे / परिस्पर्ष्टास्वहे
परिस्प्रष्टास्महे / परिस्पर्ष्टास्महे