सम् + प्र + हृ Dhatu Roop - कर्तरि प्रयोगः आशीर्लिङ् लकारः आत्मने पदम्
हृञ् हरणे - भ्वादिः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम पुरुषः
मध्यम पुरुषः
उत्तम पुरुषः
एक
द्वि
बहु
प्रथम
सम्प्रहृषीष्ट / संप्रहृषीष्ट
सम्प्रहृषीयास्ताम् / संप्रहृषीयास्ताम्
सम्प्रहृषीरन् / संप्रहृषीरन्
मध्यम
सम्प्रहृषीष्ठाः / संप्रहृषीष्ठाः
सम्प्रहृषीयास्थाम् / संप्रहृषीयास्थाम्
सम्प्रहृषीढ्वम् / संप्रहृषीढ्वम्
उत्तम
सम्प्रहृषीय / संप्रहृषीय
सम्प्रहृषीवहि / संप्रहृषीवहि
सम्प्रहृषीमहि / संप्रहृषीमहि