তদ্ধিত প্ৰত্যয় - त्व (नपुं)


 
अकारान्त
अरुण -> अरुणत्वम्  मधुर -> मधुरत्वम्  आराधय -> आराधयत्वम्  ब्राह्मण -> ब्राह्मणत्वम्  इदम्पर -> इदम्परत्वम्  निपुण -> निपुणत्वम्  ईश्वर -> ईश्वरत्वम्  दीर्घ -> दीर्घत्वम्  उष्ण -> उष्णत्वम्  सुख -> सुखत्वम्  मूर्ख -> मूर्खत्वम्  ऋषिक -> ऋषिकत्वम्  दृढ -> दृढत्वम्  एक -> एकत्वम्  क्षेत्रज्ञ -> क्षेत्रज्ञत्वम्  शोण -> शोणत्वम्  प्रौढ -> प्रौढत्वम् 
 
आकारान्त
यथा -> यथात्वम्  माया -> मायात्वम् 
 
इकारान्त
अधिपति -> अधिपतित्वम्  सखि -> सखित्वम्  ज्ञाति -> ज्ञातित्वम्  विशस्ति -> विशस्तित्वम्  मुनि -> मुनित्वम्  ऋषि -> ऋषित्वम्  गृहपति -> गृहपतित्वम्  सेनापति -> सेनापतित्वम् 
 
ईकारान्त
नगरी -> नगरीत्वम्  स्त्री -> स्त्रीत्वम्  सुस्त्री -> सुस्त्रीत्वम् 
 
उकारान्त
अणु -> अणुत्वम्  प्रभु -> प्रभुत्वम्  आशु -> आशुत्वम्  साधु -> साधुत्वम्  शिशु -> शिशुत्वम्  उरु -> उरुत्वम्  गुरु -> गुरुत्वम्  ऋजु -> ऋजुत्वम्  पृथु -> पृथुत्वम् 
 
ऊकारान्त
वधू -> वधूत्वम् 
 
ऋकारान्त
स्वसृ -> स्वसृत्वम्  भ्रातृ -> भ्रातृत्वम्  पितृ -> पितृत्वम्  उद्गातृ -> उद्गातृत्वम्  सुभ्रातृ -> सुभ्रातृत्वम्  होतृ -> होतृत्वम् 
 
ओकारान्त
गो -> गोत्वम् 
 
जकारान्त
वणिज् -> वणिक्त्वम्  ऋत्विज् -> ऋत्विक्त्वम् 
 
तकारान्त
महत् -> महत्त्वम्  युगपत् -> युगपत्त्वम् 
 
दकारान्त
सुहृद् -> सुहृत्त्वम् 
 
नकारान्त
ब्रह्मन् -> ब्रह्मत्वम्  राजन् -> राजत्वम्  विघातिन् -> विघातित्वम्  शीर्षघातिन् -> शीर्षघातित्वम्  युवन् -> युवत्वम्  मेधाविन् -> मेधावित्वम् 
 
सकारान्त
संमनस् -> संमनस्त्वम्  पुरस् -> पुरस्त्वम्