तिङ् प्रत्ययाः - कर्तरि प्रयोगः लट् लकारः आत्मने पदम् मध्यम पुरुषः द्विवचनम्


 
अकारान्त
गर्वयेथे / गर्वेथे (गर्व-चुरादिः-गर्व-माने [चुरादिः])  पतयेथे / पतेथे (पत-चुरादिः-पत-देवशब्दे-गतौ-वा-वादन्त-इत्येके [चुरादिः])  सूत्रयेथे (सूत्र [चुरादिः]) 
 
आकारान्त
गाथे (गा-भ्वादिः-गाङ्-गतौ [भ्वादिः])  जिघ्रेथे (घ्रा [भ्वादिः])  यच्छेथे (दा-भ्वादिः-दाण्-दाने [भ्वादिः])  धमेथे (ध्मा [भ्वादिः])  पिबेथे (पा [भ्वादिः])  मनेथे (म्ना-भ्वादिः-म्ना-अभ्यासे [भ्वादिः])  तिष्ठेथे (स्था [भ्वादिः])  दरिद्राथे (दरिद्रा [अदादिः])  वाथे (वा [अदादिः])  जिगाथे (गा-जुहोत्यादिः-गा-स्तुतौ [जुहोत्यादिः])  ददाथे (दा [जुहोत्यादिः])  दधाथे (धा [जुहोत्यादिः])  जिहाथे (हा-जुहोत्यादिः-ओँहाङ्-गतौ [जुहोत्यादिः])  जहाथे (हा [जुहोत्यादिः])  मायेथे (मा-दिवादिः-माङ्-माने [दिवादिः])  जानाथे (ज्ञा [क्र्यादिः])  ज्ञपयेथे / ज्ञापयेथे (ज्ञा-चुरादिः-ज्ञा-नियोगे [चुरादिः]) 
 
इकारान्त
कामयेथे (कामि [भ्वादिः])  जयेथे (जि [भ्वादिः])  याथे (इ-अदादिः-इण्-गतौ [अदादिः])  चिक्याथे (कि-जुहोत्यादिः-कि-ज्ञाने [जुहोत्यादिः])  क्षिण्वाथे (क्षि-स्वादिः-क्षि-क्षीऽ-हिंसायाम्-क्षिर्भाषायामित्येके [स्वादिः])  रियेथे (रि-तुदादिः-रि-गतौ [तुदादिः])  चपयेथे / चययेथे (चि-चुरादिः-चिञ्-चयने [चुरादिः])  चापयेथे / चाययेथे / चयेथे (चि-चुरादिः-चि-भाषार्थः-च [चुरादिः]) 
 
ईकारान्त
नयेथे (नी [भ्वादिः])  दीध्याथे (दीधी-अदादिः-दीधीङ्-दीप्तिदेवनयोः [अदादिः])  वियाथे (वी-अदादिः-वी-गतिप्रजनकान्त्यसनखादनेषु [अदादिः])  शयाथे (शी [अदादिः])  बिभ्याथे (भी [जुहोत्यादिः])  जिह्रियाथे (ह्री [जुहोत्यादिः])  क्रीणाथे (क्री [क्र्यादिः])  क्षीणाथे (क्षी-क्र्यादिः-क्षीष्-हिंसायाम् [क्र्यादिः])  प्लिनाथे (प्ली-क्र्यादिः-प्ली-गतौ [क्र्यादिः]) 
 
उकारान्त
अवेथे (उ-भ्वादिः-उङ्-शब्दे [भ्वादिः])  शृण्वाथे (श्रु [भ्वादिः])  ऊर्णुवाथे (ऊर्णु-अदादिः-ऊर्णुञ्-आच्छादने [अदादिः])  युवाथे (यु-अदादिः-यु-मिश्रेणेऽभिश्रणे-च [अदादिः])  रुवाथे (रु-अदादिः-रु-शब्दे [अदादिः])  स्तुवाथे (स्तु [अदादिः])  ह्नुवाथे (ह्नु [अदादिः])  जुह्वाथे (हु [जुहोत्यादिः])  दुन्वाथे (दु [स्वादिः])  सुन्वाथे (सु-स्वादिः-षुञ्-अभिषवे [स्वादिः])  गुवेथे (गु-तुदादिः-गु-पुरीषोत्सर्गे [तुदादिः])  युनाथे (यु-क्र्यादिः-युञ्-बन्धने [क्र्यादिः])  यावयेथे (यु-चुरादिः-यु-जुगुप्सायाम् [चुरादिः]) 
 
ऊकारान्त
ब्रुवाथे (ब्रू [अदादिः])  सुवाथे (सू [अदादिः])  धून्वाथे (धू-स्वादिः-धूञ्-कम्पने-इत्येके [स्वादिः])  कुवेथे (कू-तुदादिः-कूङ्-शब्दे-इत्येके [तुदादिः])  मूनाथे (मू-क्र्यादिः-मूञ्-बन्धने [क्र्यादिः])  लुनाथे (लू [क्र्यादिः])  भावयेथे / भवेथे (भू-चुरादिः-भू-प्राप्तौ [चुरादिः])  भावयेथे / भवेथे (भू-चुरादिः-भू-अवकल्कने-मिश्रीकरण-इत्येके-चिन्तन-इत्यन्ये [चुरादिः]) 
 
ऋकारान्त
ऋच्छेथे (ऋ [भ्वादिः])  धावेथे / सरेथे (सृ [भ्वादिः])  हरेथे (हृ [भ्वादिः])  इय्राथे (ऋ-जुहोत्यादिः-ऋ-गतौ [जुहोत्यादिः])  बिभ्राथे (भृ-जुहोत्यादिः-डुभृञ्-धारणपोषणयोः [जुहोत्यादिः])  दृण्वाथे (दृ-स्वादिः-दृ-हिंसायाम् [स्वादिः])  प्रियेथे (पृ-तुदादिः-पृङ्-व्यायामे [तुदादिः])  कुर्वाथे (कृ [तनादिः])  वृणाथे (वृ-क्र्यादिः-वृङ्-सम्भक्तौ [क्र्यादिः])  घारयेथे (घृ-चुरादिः-घृ-प्रस्रवणे-स्रावण-इत्येके [चुरादिः]) 
 
ॠकारान्त
तरेथे (तॄ [भ्वादिः])  पिपुराथे (पॄ-जुहोत्यादिः-पॄ-पालनपूरणयोः [जुहोत्यादिः])  जीर्येथे (जॄ [दिवादिः])  किरेथे (कॄ [तुदादिः])  गृणाथे (गॄ-क्र्यादिः-गॄ-शब्दे [क्र्यादिः])  पारयेथे (पॄ [चुरादिः]) 
 
एकारान्त
वयेथे (वे [भ्वादिः]) 
 
ऐकारान्त
ध्यायेथे (ध्यै [भ्वादिः]) 
 
ओकारान्त
श्येथे (शो-दिवादिः-शो-तनूकरणे [दिवादिः]) 
 
घकारान्त
स्तिघ्नुवाथे (स्तिघ्-स्वादिः-ष्टिघँ-आस्कन्दने [स्वादिः]) 
 
चकारान्त
अञ्चेथे (अञ्च् [भ्वादिः])  पचेथे (पच् [भ्वादिः])  पृचाथे (पृच्-अदादिः-पृचीँ-सम्पर्चने-सम्पर्के [अदादिः])  वचाथे (वच् [अदादिः])  मुञ्चेथे (मुच् [तुदादिः])  विचेथे (व्यच्-तुदादिः-व्यचँ-व्याजीकरणे [तुदादिः])  विञ्चाथे (विच्-रुधादिः-विचिँर्-पृथग्भावे [रुधादिः]) 
 
छकारान्त
स्फूर्छेथे (स्फुर्छ्-भ्वादिः-स्फुर्छाँ-विस्तृतौ [भ्वादिः])  उच्छेथे (उच्छ्-तुदादिः-उछीँ-विवासे [तुदादिः])  ऋच्छेथे (ऋच्छ्-तुदादिः-ऋछँ-गतीन्द्रियप्रलयमूर्तिभावेषु [तुदादिः])  विच्छायेथे (विच्छ्-तुदादिः-विछँ-गतौ [तुदादिः]) 
 
जकारान्त
अर्जेथे (ऋज्-भ्वादिः-ऋजँ-गतिस्थानार्जनोपार्जनेषु [भ्वादिः])  रजेथे (रञ्ज् [भ्वादिः])  सज्जेथे (सस्ज्-भ्वादिः-षस्जँ-गतौ [भ्वादिः])  स्वजेथे (स्वञ्ज्-भ्वादिः-ष्वञ्जँ-परिष्वङ्गे [भ्वादिः])  सजेथे (सञ्ज्-भ्वादिः-षञ्जँ-सङ्गे [भ्वादिः])  निञ्जाथे (निञ्ज्-अदादिः-णिजिँ-शुद्धौ [अदादिः])  पिञ्जाथे (पिञ्ज्-अदादिः-पिजिँ-वर्णे-सम्पर्चन-इत्येके-उभयन्नेत्यन्ये-अवयव-इत्यपरे-अव्यक्ते-शब्द-इतीतरे [अदादिः])  मार्जाथे / मृजाथे (मृज्-अदादिः-मृजूँ-मृजूँश्-शुद्धौ [अदादिः])  वृजाथे (वृज्-अदादिः-वृजीँ-वर्जने [अदादिः])  शिञ्जाथे (शिञ्ज्-अदादिः-शिजिँ-अव्यक्ते-शब्दे [अदादिः])  नेनिजाथे (निज्-जुहोत्यादिः-णिजिँर्-शौचपोषणयोः [जुहोत्यादिः])  रज्येथे (रञ्ज्-दिवादिः-रञ्जँ-रागे-मित्-१९४० [दिवादिः])  मज्जेथे (मस्ज्-तुदादिः-टुमस्जोँ-शुद्धौ [तुदादिः])  लज्जेथे (लस्ज्-तुदादिः-ओँलस्जीँ-व्रीडायाम्-व्रीडे [तुदादिः])  भञ्जाथे (भञ्ज्-रुधादिः-भञ्जोँ-आमर्दने [रुधादिः])  युञ्जाथे (युज्-रुधादिः-युजिँर्-योगे [रुधादिः])  योजयेथे / योजेथे (युज्-चुरादिः-युजँ-संयमने [चुरादिः]) 
 
टकारान्त
स्फोटेथे (स्फुट्-भ्वादिः-स्फुटिँर्-विशरणे [भ्वादिः]) 
 
ठकारान्त
पठेथे (पठ् [भ्वादिः]) 
 
डकारान्त
ईडाथे (ईड्-अदादिः-ईडँ-स्तुतौ [अदादिः])  मृड्णाथे (मृड्-क्र्यादिः-मृडँ-क्षोदे-सुखे-च [क्र्यादिः])  कुण्डयेथे / कुण्डेथे (कुण्ड्-चुरादिः-कुडिँ-अनृतभाषणे-इत्यपरे [चुरादिः])  ताडयेथे (तड् [चुरादिः]) 
 
णकारान्त
पणायेथे (पण् [भ्वादिः])  अर्ण्वाथे (ऋण्-तनादिः-ऋणुँ-गतौ [तनादिः])  क्षण्वाथे (क्षण्-तनादिः-क्षणुँ-हिंसायाम् [तनादिः])  क्षेण्वाथे (क्षिण्-तनादिः-क्षिणुँ-हिंसायाम्-च [तनादिः]) 
 
तकारान्त
संस्ताथे (संस्त्-अदादिः-षस्तिँ-स्वप्ने [अदादिः])  कृन्ताथे (कृत्-रुधादिः-कृतीँ-वेष्टने [रुधादिः])  कीर्तयेथे (कॄत् [चुरादिः])  चेतयेथे (चित्-चुरादिः-चितँ-सञ्चेतने [चुरादिः])  पुस्तयेथे (पुस्त्-चुरादिः-पुस्तँ-आदरानादरयोः [चुरादिः]) 
 
थकारान्त
पर्थयेथे (पृथ्-चुरादिः-पृथँ-प्रक्षेपे [चुरादिः]) 
 
दकारान्त
ऊर्देथे (ऊर्द्-भ्वादिः-उर्दँ-माने-क्रीडायां-च [भ्वादिः])  क्रन्देथे (क्रन्द् [भ्वादिः])  क्ष्वेदेथे (क्ष्विद्-भ्वादिः-ञिक्ष्विदाँ-अव्यक्ते-शब्दे [भ्वादिः])  मोदेथे (मुद् [भ्वादिः])  मेदेथे (मिद् [भ्वादिः])  वन्देथे (वन्द् [भ्वादिः])  शीयेथे (शद्-भ्वादिः-शदॢँ-शातने [भ्वादिः])  सीदेथे (सद्-भ्वादिः-षदॢँ-विशरणगत्यवसादनेषु [भ्वादिः])  अदाथे (अद् [अदादिः])  रुदाथे (रुद् [अदादिः])  विदाथे (विद् [अदादिः])  मेद्येथे (मिद्-दिवादिः-ञिमिदाँ-स्नेहने [दिवादिः])  तुदेथे (तुद् [तुदादिः])  शीयेथे (शद्-तुदादिः-शदॢँ-शातने [तुदादिः])  सीदेथे (सद्-तुदादिः-षदॢँ-विशरणगत्यवसादनेषु [तुदादिः])  भिन्दाथे (भिद् [रुधादिः]) 
 
धकारान्त
विध्येथे (व्यध्-दिवादिः-व्यधँ-ताडने [दिवादिः])  ऋध्नुवाथे (ऋध्-स्वादिः-ऋधुँ-वृद्धौ [स्वादिः])  इन्धाथे (इन्ध्-रुधादिः-ञिइन्धीँ-दीप्तौ [रुधादिः])  रुन्धाथे (रुध्-रुधादिः-रुधिँर्-आवरणे [रुधादिः])  बध्नाथे (बन्ध् [क्र्यादिः]) 
 
नकारान्त
पनायेथे (पन्-भ्वादिः-पनँ-च-व्यवहारे-स्तुतौ-च [भ्वादिः])  घ्नाथे (हन् [अदादिः])  जज्ञाथे (जन्-जुहोत्यादिः-जनँ-जनने-मित्-१९३७ [जुहोत्यादिः])  दधनाथे (धन्-जुहोत्यादिः-धनँ-धान्ये [जुहोत्यादिः])  जायेथे (जन् [दिवादिः])  तन्वाथे (तन् [तनादिः]) 
 
पकारान्त
कल्पेथे (कृप् [भ्वादिः])  गोपायेथे (गुप्-भ्वादिः-गुपूँ-रक्षणे [भ्वादिः])  धूपायेथे (धूप्-भ्वादिः-धूपँ-सन्तापे [भ्वादिः])  पुष्प्येथे (पुष्प् [दिवादिः])  कल्पयेथे / कल्पेथे (कृप्-चुरादिः-कृपँ-अवकल्कने-मिश्रीकरण-इत्येके-चिन्तन-इत्यन्ये [चुरादिः])  ज्ञपयेथे (ज्ञप्-चुरादिः-ज्ञपँ-ज्ञपँ-ज्ञानज्ञापनमारणतोषणनिशाननिशामनेषु [चुरादिः]) 
 
फकारान्त
तृफेथे (तृफ्-तुदादिः-तृफँ-तृप्तौ-इत्येके [तुदादिः])  तृम्फेथे (तृम्फ्-तुदादिः-तृम्फँ-तृप्तौ-इत्येके [तुदादिः])  दृम्फेथे (दृम्फ्-तुदादिः-दृम्फँ-उत्क्लेशे-इत्येके [तुदादिः]) 
 
भकारान्त
जम्भेथे (जभ्-भ्वादिः-जभीँ-गात्रविनामे [भ्वादिः])  दभ्नुवाथे (दम्भ्-स्वादिः-दम्भुँ-दम्भने-दम्भे [स्वादिः])  तुभ्नाथे (तुभ्-क्र्यादिः-तुभँ-हिंसायाम् [क्र्यादिः]) 
 
मकारान्त
क्रम्येथे / क्रमेथे (क्रम् [भ्वादिः])  गच्छेथे (गम् [भ्वादिः])  भ्राम्येथे / भ्रमेथे (भ्रम् [भ्वादिः])  यच्छेथे (यम् [भ्वादिः])  क्लाम्येथे / क्लामेथे (क्लम् [दिवादिः])  शाम्येथे (शम् [दिवादिः])  चम्नुवाथे (चम्-स्वादिः-चमुँ-भक्षणे-न-मित्-१९५१ [स्वादिः]) 
 
रेफान्त
ईराथे (ईर्-अदादिः-ईरँ-गतौ-कम्पने-च [अदादिः])  तुतुराथे (तुर्-जुहोत्यादिः-तुरँ-त्वरणे [जुहोत्यादिः])  चोरयेथे (चुर् [चुरादिः])  पूरयेथे / पूरेथे (पूर्-चुरादिः-पूरीँ-आप्यायने [चुरादिः])  यन्त्रयेथे (यन्त्र् [चुरादिः]) 
 
लकारान्त
चलेथे (चल्-तुदादिः-चलँ-विलसने [तुदादिः]) 
 
वकारान्त
कृण्वाथे (कृन्व्-भ्वादिः-कृविँ-हिंसाकरणयोश्च [भ्वादिः])  धिन्वाथे (धिन्व्-भ्वादिः-धिविँ-प्रीणनार्थः [भ्वादिः])  ष्ठीवेथे (ष्ठिव् [भ्वादिः])  दीव्येथे (दिव् [दिवादिः])  ष्ठीव्येथे (ष्ठिव्-दिवादिः-ष्ठिवुँ-निरसने-केचिदिहेमं-न-पठन्ति [दिवादिः])  खौनाथे (खव्-क्र्यादिः-खवँ-भूतप्रादुर्भावे-इत्येके [क्र्यादिः]) 
 
शकारान्त
पश्येथे (दृश् [भ्वादिः])  दशेथे (दंश् [भ्वादिः])  भ्राश्येथे / भ्राशेथे (भ्राश्-भ्वादिः-टुभ्राशृँ-दीप्तौ [भ्वादिः])  भ्लाश्येथे / भ्लाशेथे (भ्लाश्-भ्वादिः-टुभ्लाशृँ-दीप्तौ [भ्वादिः])  ईशाथे (ईश्-अदादिः-ईशँ-ऐश्वर्ये [अदादिः])  उशाथे (वश्-अदादिः-वशँ-कान्तौ [अदादिः])  भ्रश्येथे (भ्रंश् [दिवादिः])  दाश्नुवाथे (दाश्-स्वादिः-दाशँ-हिंसायाम् [स्वादिः])  दिशेथे (दिश् [तुदादिः]) 
 
षकारान्त
अक्ष्णुवाथे / अक्षेथे (अक्ष्-भ्वादिः-अक्षूँ-व्याप्तौ [भ्वादिः])  लष्येथे / लषेथे (लष्-भ्वादिः-लषँ-कान्तौ [भ्वादिः])  चक्षाथे (चक्ष्-अदादिः-चक्षिँङ्-व्यक्तायां-वाचि-अयं-दर्शनेऽपि [अदादिः])  जक्षाथे (जक्ष्-अदादिः-जक्षँ-भक्ष्यहसनयोः [अदादिः])  द्विषाथे (द्विष् [अदादिः])  दिधिषाथे (धिष्-जुहोत्यादिः-धिषँ-शब्दे [जुहोत्यादिः])  वेविषाथे (विष्-जुहोत्यादिः-विषॢँ-व्याप्तौ [जुहोत्यादिः])  इच्छेथे (इष् [तुदादिः])  पिंषाथे (पिष् [रुधादिः])  मुष्णाथे (मुष् [क्र्यादिः])  विष्णाथे (विष्-क्र्यादिः-विषँ-विप्रयोगे [क्र्यादिः])  पोषयेथे / पोषेथे (पुष्-चुरादिः-पुषँ-धारणे [चुरादिः]) 
 
सकारान्त
साथे (अस् [अदादिः])  चकासाथे (चकास्-अदादिः-चकासृँ-दीप्तौ [अदादिः])  वसाथे (वस्-अदादिः-वसँ-आच्छादने [अदादिः])  शासाथे (शास्-अदादिः-शासुँ-अनुशिष्टौ [अदादिः])  ससाथे (सस्-अदादिः-षसँ-स्वप्ने [अदादिः])  त्रस्येथे / त्रसेथे (त्रस् [दिवादिः])  यस्येथे / यसेथे (यस्-दिवादिः-यसुँ-प्रयत्ने [दिवादिः])  हिंसाथे (हिंस्-रुधादिः-हिसिँ-हिंसायाम् [रुधादिः])  ग्रासयेथे / ग्रसेथे (ग्रस्-चुरादिः-ग्रसँ-ग्रहणे [चुरादिः])  जासयेथे / जसेथे (जस्-चुरादिः-जसुँ-ताडने [चुरादिः]) 
 
हकारान्त
गूहेथे (गुह्-भ्वादिः-गुहूँ-संवरणे [भ्वादिः])  दुहाथे (दुह् [अदादिः])  दिहाथे (दिह्-अदादिः-दिहँ-उपचये [अदादिः])  लिहाथे (लिह् [अदादिः])  तृंहाथे (तृह्-रुधादिः-तृहँ-हिंसायाम् [रुधादिः])  गृह्णाथे (ग्रह् [क्र्यादिः])